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पूर्व CM हरीश रावत बोले-हम आह भी भरें तो बदनाम, वो कत्ल भी कर दें तो कहते हैं चर्चा न कर

उत्तर नारी डेस्क 

"हम आह भी भरते हैं तो कर दिये जाते हैं बदनाम, 

वो कत्ल भी कर दें तो कहते हैं चर्चा न कर"।।

पूर्व CM हरीश रावत उत्तराखण्ड सरकार को आये दिन कोरोना को लेकर अपने सुझाव देते रहते है। इस बार पूर्व सीएम कहते है कि आज भारत की राजनैतिक स्थिति यही है, यदि कोरोना को लेकर कांग्रेस कोई सुझाव दे रही है तो उसको नकारात्मक बताकर, उस सुझाव का मखौल उड़ाया जा रहा है, पर कोरोना है जो थम नहीं रहा, कोरोना के खिलाफ ये तथ्य सारी दुनिया ने मान लिया है कि यदि कोई बचाव है तो वो है टीकाकरण, टीकाकरण पर राज्य और केंद्र में एक राय क्यों नहीं बन पा रही! और मैं एक आम नागरिक के तौर पर सोचता हूँ कि किसी भी टीकाकरण पॉलिसी में जो सबसे पहली बात होनी चाहिए थी, टीका उपलब्ध हो और सबको सरलता व सहजता से उपलब्ध हो, उसकी उपलब्धता की तिथि, स्थान व समय पूर्व घोषित हो और ये टीका सस्ता होना चाहिए। राज्यों के बीच में टीके का बंटवारा न्यायसंगत होना चाहिए। 

केंद्र जिस दाम पर टीका खरीद रहा है, उसी दाम पर राज्यों को भी उपलब्ध होना चाहिए, अभी ऐसा लगता है कि हम एक ऐसी धीमा मुस्ती में फंस गये हैं कि राज्य_सरकारें किसी और देश की हैं और राज्य सरकारों को प्रतिस्पर्धा के लिए छोड़ दिया गया। यदि सब राज्य अपने-अपने तरीके से ग्लोबल बिल्डिंग में जायेंगे तो नतीजा ये होगा कि विदेशी कंपनियाँ धन कमायेंगी, राज्य और राज्यों की जनता इसका मूल्य अदा करेगी, हमें नहीं भूलना चाहिए कि जनता, राज्य और केंद्र में बंटी नहीं है, सब भारत के नागरिक हैं, अभी ऐसा लगता है जैसे जो नई वैक्सीन नीति बनी है वो राज्यों को दंडित करने के लिए बनाई गई है। 

पहले ऐसा लग रहा था कि टीकाकरण का सारा खर्च केंद्र सरकार उठाने जा रही है, मगर यदि खर्च बंटना भी है तो वो बंटवारा पारदर्शी और न्यायसंगत होना चाहिए,  इस समय आवश्यकता थी कि टीके उपलब्ध होते और हम सब टीकाकरण के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर रहे होते, यहाँ किसको प्रोत्साहित करें! जब टीकों की उपलब्धता ही सीमित है।


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