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उत्तराखण्ड : भगवान घण्टाकर्ण की 12 साल बाद कुम्भ की तर्ज पर आयोजित देव यात्रा यज्ञ अनुष्ठान के साथ संपन्न

उत्तर नारी डेस्क 

उत्तराखण्ड में महाकुम्भ की तर्ज पर आयोजित घंटाकार्ण देवरा यात्रा यज्ञ अनुष्ठान के साथ संपन्न हो गया है। इसी के साथ पिछले एक माह से क्षेत्र में चल रहा धार्मिक अनुष्ठान भी संपन्न हो गया है। 

बता दें बीते शुक्रवार को भगवान घंटाकर्ण ने बदरीनाथ और कुबेर भगवान के दर्शन किए और भक्तों को आशीर्वाद देने के बाद अपने मंदिर में विराजमान हो गए है। यह यात्रा 12 वर्ष में जब हरिद्वार में महाकुम्भ पर्व होता है तभी होती है। यह यात्रा पांडुकेश्वर स्थित श्री घंटाकार्ण मन्दिर से वसुधारा तक की होती है । यात्रा के प्रथम दिन घंटाकर्ण जी पांडुकेश्वर से श्री बदरीनाथ धाम पहुंचे और भगवान श्री बदरीनाथ जी के दर्शनोपरांत माणा गांव के लिए रवाना हो गए। यात्रा के द्वितीय दिवस पर घंटाकर्ण जी माणा से वसुधारा तक की यात्रा करके पुनः रात्रि विश्राम के लिए माणा पहुंचे ।

यह श्रद्धालुओं की श्रद्धा ही तो है कि इस भारी बर्फ में भगवान घण्टाकर्ण के भक्त नंगे पांव में ही पहाड़ी नुमा ढाल में चल रहे है, जहां पर थोड़ी सी चूक होते ही श्रद्धालु सीधे गहरी खाई में गिर सकते है साथ ही भारी दिक्कतों के बाद भी इन भक्तो के चेहरे में सिकन तक नही है भगवान के इस यात्रा में 50 से अधिक श्रदालु मौजूद रहे। जो भगवान बदरी विशाल और घण्टाकर्ण कि जयकारे के साथ 5 दिनों से आगे बढ़ते जा रहे थे। 

बताते चलें कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार दिवारा यात्रा का व्यापक स्तर पर आयोजन नहीं किया गया। ग्रामीण रामनारायण भंडारी ने बताया कि यात्रा के दौरान भगवान घंटाकर्ण ने बदरीनाथ धाम के बसुधारा तक क्षेत्र भ्रमण कर पवित्र स्नान किया। इसके बाद उन्होंने बदरीनाथ धाम और बामणी गांव में कुबेर भगवान के दर्शन भी किए। वापसी के बाद घंटाकर्ण मंदिर में जांती मेले का सूक्ष्म रूप से आयोजन हुआ और भगवान घंटाकर्ण ने भक्तों को आशीर्वाद दिया।

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