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उत्तराखण्ड : मुफलिसी में दिन काटने को मजबूर हुई अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक शूटर, जानें क्यों सड़कों पर बेच रही है नमकीन-बिस्किट

उत्तर नारी डेस्क

तमाम राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पदकों पर निशाना लगा चुकी दून की दिव्यांग शूटर दिलराज कौर आज मुफलिसी में दिन काट रही है। आखिर क्यों उन्हें देहरादून में गांधी पार्क के गेट पर एक छोटीसी जगह पर अपने जीवनयापन के लिए नमकीन और बिस्किट बेचने को मजबूर होना पड़ रहा हैं।

चलिए आपको शुरू से बताते हैं। देहरादून के गोविंदगढ की रहने वाली दिलराज कौर, अंतराष्ट्रीय पैरालंपिक शूटर है। साथ ही यह पहली महिला इंटरनेशनल पैरा शूटर है। जिनके नाम विभिन्न प्रतियोगिताओं में 24 स्वर्ण, आठ रजत और तीन कांस्य हैं। इसके साथ ही वह उत्तराखण्ड स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप में 2016 से 2021 तक चार स्वर्ण पदक जीत चुकी है। इसके अलावा उन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी एक रजत पदक हासिल किया है।

परन्तु आज वे दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रही है। पारिवारिक स्तिथि ऐसी है कि वह गांधी पार्क के समीप नमकीन बेच रही है। ताकि परिवार का भरण पोषण कर सके। पिता और भाई की मृत्यु के बाद उनके सामने आर्थिक संकट और भी गहरा गया है। 

दिलराज कौर ने बताया कि उनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब है। प्रदेश सरकार उनकी सुध तक नहीं ले रही है। कई बार नौकरी के लिए आवेदन करने के बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिल पाई। आर्थिक स्थिति बेहद खराब होने से नमकीन बेचकर पेट पालने को मजबूर है।

इसके साथ ही दिलराज कौर ने सिस्टम पर तंज कसते हुए कहा, हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि आत्मनिर्भर बनो। मैं नमकीन-बिस्किट बेचकर आत्मनिर्भर बनने का प्रयास कर रही हूं। तीन-चार महीने से घर के आसपास अस्थायी दुकान लगा रही थी, मगर वहां ज्यादा बिक्री नहीं होती थी। किसी ने सुझाव दिया कि भीड़ वाले क्षेत्र में दुकान लगाओ तो गांधी पार्क के बाहर काम शुरू कर दिया।

तो वहीं, दिलराज कौर ने सरकार से उनकी उपलब्धियों और शैक्षिक योग्यता के आधार पर स्पोर्ट्स कोटे से नौकरी देने की मांग भी की है। बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय पैरा महिला शूटर दिलराज ने 2005 में 29वीं नॉर्थ जोन शूटिंग चैंपियनशिप में ब्रांज, चतुर्थ उत्तराखण्ड स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता। वहीं केरल में हुई 15वीं ऑल इंडिया जीवी मावलेंकर शूटिंग चैंपियनशिप में चौथी रैंक हासिल की। हैदराबाद में 49वीं नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता और प्रथम इंटरनेशनल महिला शूटर बनी। साल 2004 में तृतीय उत्तरांचल स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड, कोयम्बटूर में 14वीं ऑल इंडिया जीवीएम शूटिंग चैंपियनशिप में 12 रैंक हासिल कर प्रथम महिला पैरा शूटर ऑफ इंडिया बनी।

बताते चलें कि खेल को बढ़ाने के लिए सरकारें भले ही मंचों से बड़े-बड़े दावे करती हो परन्तु धरातल में सच्चाई कुछ और ही होती है। अब देखना यह होगा कि सरकार कब इन खिलाड़ियों के ऊपर ध्यान देगी। 

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