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कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की हड़ताल करने वाले विद्युत कर्मचारियों को चेतावनी

उत्तर नारी डेस्क 

उत्तराखण्ड के बिजली विभाग से बड़ी खबर सामने आई है जहां ऊर्जा निगमों के कर्मी 26 और 27 जुलाई को हड़ताल पर रहेंगे। जी हां आपको बता दें कि उत्तराखण्ड के लोगों को बिन पंखे और एसी कूलर के कई रातें अंधेरे में गुजारनी पड़ सकती है। आज 26 जुलाई (सोमवार) को कर्मचारी सचिवालय कूच करेंगे। इससे साफ है कि 26 और 27 जुलाई को प्रदेश की जनता को बिजली की कमी से जूझना पड़ेगा। जिसको देखते हुए ऊर्जा निगम के कर्मचारियों ने आम लोगों के लिए एक पत्र भी जारी किया है। जिसमें उन्होंने आम लोगों से घर में मोमबत्ती और टॉर्च की उचित व्यवस्था करने की सलाह दी है। जिससे साफ जाहिर होता है कि कर्मचारियों ने हड़ताल करने का पूरा मूड बना लिया हैं। दरअसल पुरानी पेंशन व्यवस्था की बहाली, ग्रेडपे एसीपी, संविदा कर्मचारियों की स्थाई नियुक्ति जैसी मांगों को लेकर उत्तराखण्ड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने 26 जुलाई से दो दिवसीय धरना  प्रदर्शन करने का ऐलान किया है।कर्मचारियों का कहना है कि उनकी मांगें नहीं मानी गई तो आंदोलन तेज किया जाएगा और अपनी मांगे पूर्ण होने तक कार्य बहिष्कार, एवं हड़ताल कर धरना प्रदर्शन देंगे। 

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तो वहीं, हड़ताल से ठीक 24 घंटे पहले ऊर्जा मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने तीखे स्वर में कर्मचारियों को दो टूक चेतावनी भी दे डाली है। जहां उन्होंने कहा है कि कर्मचारी इस मामले में नेतागिरी न करें। साथ ही उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को उनसे बात करनी चाहिए। बात करने के बाद ही किसी भी मुद्दे का हल निकल सकता है। कर्मचारियों की हड़ताल से 24 घंटे पहले हरक सिंह रावत के इस बयान से कर्मचारियों में भी हड़कंप मच गया है। 

आपको बता दें रविवार को श्रीनगर में भी ऊर्जा निगम के कर्मचारियों ने 132 केबी सब स्टेशन के सामने विरोध प्रदर्शन किया। वहीं, कर्मियों ने बताया कि वे पदोन्नति, स्थाई नियुक्ती समेत 14 सूत्रीय मांगों के लिए सालों से आंदोलनरत हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सोमवार को ऊर्जा निगम के कर्मचारी देहरादून में सचिवालय कूच करेंगे। साथ ही 27 जुलाई को पेन डाउन हड़ताल की जाएगी। वहीं, ऊर्जा निगम के कर्मचारियों को रिटायर्ड ऊर्जा विभाग के कर्मचारियों का भी समर्थन मिला है। ऊर्जा कामगार संगठन के पूर्व उपाध्यक्ष वाईएस पंवार ने कहा कि कर्मी सालों से सरकार से अपनी मांगें पूरी करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार की अनदेखी के कारण कर्मचारियों को मजबूरन हड़ताल करनी पड़ रही है।

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