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उत्तराखण्ड में बिजली विभाग की हड़ताल हुई शुरू, कभी भी हो सकती है बत्ती गुल

उत्तर नारी डेस्क

पुरानी पेंशन व्यवस्था की बहाली, ग्रेडपे एसीपी, संविदा कर्मचारियों की स्थाई नियुक्ति जैसी मांगों को लेकर उत्तराखण्ड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने 26 जुलाई से दो दिवसीय धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। लिहाजा रात 12 बजे से ऊर्जा विभाग के लगभग 3500 कर्मचारी हड़ताल पर चले गए है। कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी सभी मांगों को न माना गया तब तक वो वापस काम पर नही आएंगे। 

तो वहीं आनन-फानन में हड़ताल से पहले कर्मचारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने करीब 12 बजे सचिव ऊर्जा और मुख्य सचिव से कई दौर की बातचीत की। लेकिन इस बातचीत का कोई नतीजा निकल नहीं पाया। हालंकि कुछ बिंदुओं पर सहमति बन के बाद भी कर्मचारियों में रोष देखने को मिला।

कर्मचारियों का आरोप है कि शासन में अधिकारियों का रवैया बहुत खराब रहा मीटिंग में सहमति जताने के बाद मिनट्स में बार बार परिवर्तन करने से बात बिगड़ी है। तो वहीं उत्तराखण्ड विद्युत अधिकारी कर्मचारियों ने सभी बिंदुओं पर अड़े रहने के चलते और मुख्य सचिव से मीटिंग विफल होने के चलते हड़ताल करने का फैसला लिया है। साथ ही हड़ताल को लेकर कर्मचारियों ने आम जनता से अपील भी की है कि बिजली संबंधित समस्या होने से पहले जनता वैकल्पिक व्यवस्था रखे। 

गौरतलब है कि ऊर्जा विभाग के तीनों निगमों यूपीसीएल, यूजेवीएनएल व पिटकुल में कार्यरत सभी कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल हैं। इनकी मांग है कि नियमित/संविदा/पेंशनरों की ACP की पूर्ववर्ती व्यवस्था 9-14-19, पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिले। यह आंदोलन में संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण व समान वेतन की मांग सहित 14 सूत्रीय मांगों पर निगम प्रबंधन एवं उत्तराखण्ड शासन द्वारा कोई भी सकारात्मक कार्रवाई ना किए जाने के विरोध में किया गया है। आंदोलन में तीनों निगमों में कार्यरत नियमित अधकारियों, कर्मचारियों, संविदा कर्मचारी व पेंशनर शामिल हैं।

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बता दें ऊर्जा विभाग के 3500 कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने की खबर से ही सरकार के हाथ फुले हुए हैं। तो वहीं विद्युत अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के राज्यव्यापी आंदोलन की हड़ताल का असर भी दिखना शुरू हो गया है। राज्य के अलग अलग जिलों में अलग अलग स्थानों पर विद्युत आपूर्ति बाधित हो गई है। राजधानी देहरादून में भी विद्युत कर्मियों की हड़ताल के चलते लोग परेशान हो रहें हैं। कई इलाकों में बिजली नहीं आ रही है। लोगों की दिनचर्या अव्यवस्थित हुई है। बिजली अति आवश्यक सेवा में आता है, ऐसे में अगर ये कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं तो पावर प्रोजेक्ट तथा बिजली के सुचारू बहाली पर नकारात्मक असर पड़ना तय है।

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