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उत्तराखण्ड : प्रख्यात पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा को भारत रत्न देने की मांग, प्रस्ताव हुआ पारित

उत्तर नारी डेस्क

प्रख्यात पर्यावरणविद् पद्मविभूषण सुंदरलाल बहुगुणा को भारत रत्न दिलाने की मुहिम रंग लायी। जी हाँ दिल्ली विधानसभा ने गुरुवार को सुंदरलाल बहुगुणा को भारत रत्न देने संबंधी प्रस्ताव आज सर्वसम्मति से पारित कर दिया है। आपको बता दें उत्तराखण्ड में अगले साल व‍िधानसभा चुनाव होने वाले है। इससे पहले ही आम आदमी पार्टी ने यह बड़ा दांव खेल कर उत्तराखण्ड की जनता का दिल जीतने की कोशिश की है। ऐसे में आम आदमी पार्टी सुंदर लाल बहुगुणा के नाम के सहारे अपनी चुनावी नैय्या पार लगाने की पूरी तैयारी में दिख रही हैं।

जहां इसी क्रम में दिल्ली विधानसभा के मॉनसून सत्र के पहले दिन प्रस्ताव पर बहस में हिस्सा लेते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सदन इस प्रस्ताव को पारित कर रहा है, लेकिन पूरा देश चाहता है कि बहुगुणा को भारत रत्न दिया जाए। केजरीवाल ने कहा, ‘मुझे लगता है कि अगर सर्वोच्च नागरिक सम्मान बहुगुणा को मिलता है तो यह भारत रत्न के लिए गौरव की बात होगी।’

तो वहीं चर्चा के समापन पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वक्तव्य देते हुए कहा कि सुंदरलाल बहुगुणा को भारत रत्न देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन्होंने पत्र भी लिखा है। इसके साथ ही उन्होंने प्रस्ताव में संशोधन करते हुए कहा कि सुंदरलाल बहुगुणा को सिर्फ पर्यावरण क्षेत्र से जोड़कर ही सीमित नहीं रखा जाए बल्कि सभी चीजों में उनके योगदान को शामिल करते हुए प्रस्ताव मेें बदलाव किया जाए। उन्होंने आशा व्यक्त की कि केंद्र सरकार देश की भावना को ध्यान में रखते हुए सुंदरलाल बहुगुणा को उनके अनुकरणीय कार्यों के लिए भारत रत्न से सम्मानित करेगी। 

सुंदर लाल बहुगुणा का परिचय 

आपको बता दें कि सुंदरलाल बहुगुणा पद्म विभूषण से सम्मानित किए गए हैं और साथ ही उन्होंने उत्तराखण्ड में पानी मिट्टी जंगल और बयार के लिए कई लड़ाई लड़ी है। वहीं, उन्होंने 1971 में चिपको आंदोलन के दौरान 16 दिन तक अनशन किया। जिसके चलते वह विश्वभर में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध हो गए। पर्यावरण बचाओ के क्षेत्र में क्रांति लाने वाले बहुगुणा के कार्यों से प्रभावित होकर अमेरिका की फ्रेंड ऑफ नेचर नामक संस्था ने 1980 में पुरस्कार से सम्मानित किया था। इसके साथ ही सुंदर लाल बहुगुणा महात्‍मा गांधी के पक्के अनुयायी थे। बहुगुणा ने अपने जीवन का एकमात्र लक्ष्य तय कर लिया और वह पर्यावरण की सुरक्षा था।

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