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उत्तराखण्ड के जंगलों में मिली आर्किड पौधे की दुर्लभ प्रजाति, पढ़ि‍ए पूरी खबर

उत्तर नारी डेस्क

उत्तराखण्ड अपनी जैव विविधता के लिए दुनियाभर में मशहूर है। क्यूंकि यहां 71 फीसदी वन भूभाग वाला है। इसी क्रम में अब उत्तराखण्ड के जंगलों में एक बार फिर आर्किड की दुर्लभ प्रजाति मिली है। जिसे उत्तराखण्ड वन अनुसंधान केंद्र की टीम ने दूरस्थ चमोली जिले के मंडल क्षेत्र के जंगलों में खोजा है। इस दुर्लभ प्रजाति के आर्किड का नाम  'सिफलान्थेरा इरेक्टा वर आब्लिांसओिलाटा' है। 

बता दें देश में पहली बार यह आर्किड प्रजाति पाई गई है। जिसे अब भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (बीएसआइ) ने भी इसे आधिकारिक तौर पर मान्यता देते हुए देश की वनस्पतियों की सूची में शामिल कर लिया है।

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तो वहीं मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान वृत्त संजीव चतुर्वेदी के अनुसार आर्किड की नई प्रजाति खोजने के बाद इसे बीएसआइ को भेजा गया था। बीएसआइ ने तीन माह के परीक्षण के बाद घोषणा की कि देश में पहली बार आर्किड की यह प्रजाति मिली है। बीएसआइ ने इसे आधिकारिक तौर पर मान्यता देते हुए अपनी नेलुम्बो पत्रिका के नवीनतम संस्करण में 'सिफलान्थेरा इरेक्टा वर आब्लिांसिओलाटा' को जोड़ने की पुष्टि की है।

संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि पिछले साल भी इस टीम ने चमोली जिले में 3800 मीटर की ऊंचाई पर आर्किड 'लिपारिस पिग्निया' की एक दुर्लभ प्रजाति खोजी थी, जिसे भारत में 124 साल बाद देखा गया था। 

बताते चलें इसी साल मई में अनुसंधान विंग की टीम में शामिल रेंज आफिसर हरीश नेगी और जूनियर रिसर्च फेलो मनोज सिंह ने मंडल के 1870 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बांज-बुरांस के जंगल से आर्किड की 'सिफलान्थेरा इरेक्टा वर आब्लिांसओिलाटा' प्रजाति खोजी है। साथ ही यह क्षेत्र आर्किड की दृष्टि से बेहद समृद्ध माना जाता है।

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