उत्तर नारी डेस्क
कहते हैं ना मन में अगर कुछ करने की ठान ली जाए तो हर नामुमकिन राह भी मुमकिन हो जाती है। अपनी लगन, मेहनत और हौसलों से गांव की एक गृहिणी कमला रावत ने वो कर दिखाया है। जो किसी ने सोचा भी नहीं होगा। सच ही कहा गया है कि पढ़ने-लिखने की कोई उम्र नहीं होती और इस बात को प्रमाणित कर दिखाया है उत्तराखण्ड के जिला चमोली की रहने वाली कमला रावत ने।
आपको बता दें कि चमोली जिले के दशोली के ठेली गांव में रहने वाली 39 वर्षीय कमला रावत और उनकी बेटी ने इस साल एक साथ 9वीं और 12वीं की परीक्षा पास की। दोनों की सफलता से परिवार के साथ गांव में जश्न का माहौल है। वहीं, कमला रावत कहती हैं कि उनकी घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वो सिर्फ 8वीं तक की पढ़ाई कर सकीं। उन्होंने बताया कि उनका स्कूल दूर होने के कारण वो आगे नहीं पढ़ पाई जबकि वे आगे पढ़ना चाहती थी। लेकिन स्कूल छुट जाने के बाद साल 2006 में उनकी शादी हो गई, तीन बच्चों की जिम्मेदारी सिर पर आ गई। ऐसे में पढ़ाई जारी रखने के बारे में सोचा तक नहीं जा सकता था, लेकिन कमला के मन में हमेशा एक इच्छा बनी रही।
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कमला आगे कहती हैं कि शादी के बाद जिम्मेदारी आई तो उन्हें लगा कि अब वे आगे नहीं पढ़ पाएंगी, लेकिन सरकार के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ नारे ने उनको प्रभावित किया। साथ ही बच्चे भी स्कूल जाने लगे थे तो वे भी पढ़ाई जारी रखने की सोचने लगीं। वहीं, अच्छी बात यह रही कि उनके ससुराल वालों ने भी उनकी इच्छा का सम्मान किया और साल 2018 में उनका हाईस्कूल का फॉर्म भरा दिया। वह परीक्षा में सफल रहीं। इस साल कमला ने नंदप्रयाग से 12वीं की परीक्षा पास की है। कमला कहती है कि ज्ञान अर्जित करने में उम्र कभी बाधा नहीं बनती, इसलिए मैं आगे भी पढ़ाई जारी रखूंगी।
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