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जन्माष्टमी में ऐसे करें श्री कृष्ण की पूजा, कन्हैया लाल होंगे प्रसन्न, देंगे मनवांछित फल

पंडित राजेन्द्र प्रसाद बेबनी

हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पर्व का विशेष महत्व है। मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण, भगवान विष्णु के 8वें अवतार हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण का जन्म भादों के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस साल 30 अगस्त को भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। इस बार की जन्माष्टमी पर कई योग बन रहें है। ऐसे में कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा के दौरान कुछ सरल उपाय करने से भक्तों पर भगवान कृष्ण का विशेष आशीर्वाद व कृपा होगी। भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जायेंगे। उन्हें मनवांछित फल प्राप्त होगा। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त, नियम और पूजा- विधि...

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी तिथि 30 अगस्त 2021 दिन सोमवार।

अष्टमी तिथि प्रारम्भ 29 अगस्त 2021 रात 11 बजकर 25 मिनट पर।

अष्टमी तिथि समापन 31 अगस्त 2021 सुबह 01 बजकर 59 मिनट पर।

रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ 30 अगस्त 2021 सुबह 06 बजकर 38 मिनट पर।

रोहिणी नक्षत्र समापन 31 अगस्त 2021 सुबह 09 बजकर 43 मिनट पर।

निशीथ काल 30 अगस्त रात 11 बजकर 59 मिनट से लेकर सुबह 12 बजकर 44 मिनट तक।

अभिजित मुहूर्त सुबह 12 बजकर 08 मिनट से लेकर रात 12 बजकर 47 मिनट तक।

गोधूलि मुहूर्त शाम 06 बजकर 32 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 56 मिनट तक।

🚩जानें व्रत नियम और पूजा विधि

उपवास के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि कार्यों से निवृत होकर भगवान कृष्ण का ध्यान करें।

भगवान के ध्यान के बाद उनके व्रत का संकल्प लें और पूजा की तैयारी करें।

इसके बाद भगवान कृष्ण को माखन-मिश्री, पाग, नारियल की बनी मिठाई का भोग लगएं।

फिर हाथ में जल, फूल, गंध, फल, कुश हाथ में लेकर।

🌱ममखिलपापप्रशमनपूर्वकं सर्वाभीष्ट सिद्धये, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये॥🌱

रात 12 बजे भगवान का जन्म होगा, इसके बाद उनका पंचामृत से अभिषेक करें. उनको नए कपड़े पहनाएं और उनका शृंगार करें।

भगवान का चंदन से तिलक करें और उनका भोग लगाएं. उनके भोग में तुलसी का पत्ता जरूर डालना चाहिए।

नन्द के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, कहकर कृष्ण को झूला झुलाए।

इसके बाद भगवान कृष्ण की घी के दीपक और धूपबत्ती से आरती उतारें।

🚩पूजा की विधि

स्नान करने के बाद पूजा प्रारंभ करें।

इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बालस्वरूप की पूजा का विधान है।

पूजा प्रारंभ करने से पूर्व भगवान को पंचामृत और गंगाजल से स्नान करवाएं।

इसके बाद नए वस्त्र पहनाएं और शृंगार करें।

भगवान को मिष्ठान और उनकी प्रिय चीजों से भोग लगाएं।

भोग लगाने के बाद गंगाजल अर्पित करें. इसके बाद कृष्ण आरती गाएं।

🚩जन्माष्टमी के दिन करें ---

चांदी की बांसुरी अर्पित करें

कृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा-अर्चना, भोग और कीर्तन जैसे कार्यक्रम के साथ आप कान्हा जी को चांदी की बांसुरी अर्पित करें। इससे आप पर कान्हा की विशेष कृपा हो सकती है। इसके लिए आप अपनी सामर्थ्य के अनुसार छोटी या बड़ी बांसुरी बनवाएं।

छप्पन भोग लगाएँ

धार्मिक मान्यता के अनुसार जन्माष्टमी के अवसर पर कान्हा की पूजा-अर्चना करने के बाद अगर उनको छप्पन भोग लगाया जाए, तो इससे भी कान्हा प्रसन्न होते हैं और उनकी विशेष कृपा होती है। साथ ही भक्तों की सारी मनोकामनाएंँ पूरी होती हैं।

पारिजात के फूल चढ़ाएं

जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण को पारिजात के फूल चढ़ाने से भी उनकी कृपा बरसती रहती है।

अगर आप इन सभी सेवा पूजा को प्रभु को नही दे सकते तो कोई बात नहीं।

मात्र सच्चे मन भाव से प्रभु का ध्यान स्मरण से भी आप पे प्रभु कृपा बरसती रहेगी।

ध्यान रखिये 1000 एकादशी व्रत के बराबर होता है, एक श्रीकृष्णजन्माष्टमी व्रत, इसलिये अपने भाव से व्रत (उपवास)अवश्य किजियेगा।

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