उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड के अर्जुन अवार्डी मनोज सरकार ने जापान के देयसुख को सीधे गेम में 22-20 और 21-13 से हराकर कांस्य पदक पर कब्ज़ा किया है। बता दें मनोज सरकार ने एसएल-3 वर्ग में ये मैच जीता है। यह मुकाबला 47 मिनट तक चला है। जहां पहला गेम 27 मिनट का रहा, तो दूसरा गेम 19 मिनट तक चला है।
मनोज की इस शानदार जीत से उनके गृह जनपद ऊधमसिंह नगर जिले के साथ ही पूरे देश में खुशी का माहौल है। उनके घर-परिवार में भी जश्न और खुशी का माहौल है। उनके घर के बाहर रिश्तेदारों का उनको शुभकामनाएं देने के लिए तांता लग गया है। वहीं मनोज सरकार की पत्नी रेवा सरकार ने बताया है कि रुद्रपुर आने से पहले मनोज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे।
तो वहीं उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लिखा, शानदार प्रदर्शन करते हुए प्रमोद भगत को गोल्ड और मनोज सरकार को ब्रॉन्ज मेडल जीतने पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। पैरा ओलंपिक में भारतीय खिलाडियों के अभूतपूर्व प्रदर्शन से सम्पूर्ण देश गौरवान्वित है।
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बताते चलें मनोज सरकार का जन्म ऊधमसिंह नगर जिले के रुद्रपुर तराई के जिला मुख्यालय में गरीब परिवार में हुआ था। जहां बचपन में ही दवा के ओवरडोज के चलते उनके एक पैर ने काम करना बंद कर दिया था। घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के चलते गरीब परिवार में जन्में मनोज सरकार को बचपन से ही पंचर जोड़ने, खेतों में दिहाड़ी मजदूरी करने और घरों में पीओपी के काम करने पड़े थे।
जिसके चलते वह अच्छे डॉक्टर से अपने पांव का इलाज नहीं करा पाए थे। परन्तु बचपन से ही उन्हें बैडमिंटन खेलने का शौक था। इस शौक को देखते हुए उनकी मां जमुना सरकार ने मजदूरी करके जुटाए रुपयों से उन्हें बैडमिंटन खरीदकर दिया। उन्होंने बैडमिंटन खेलना शुरू किया तो उन्हें साथी बच्चे लंगड़ा कहकर चिढ़ाया करते थे। जिससे तंग आकर उन्होंने बैडमिंटन खेलने का विचार छोड़ दिया था। फिर टीवी में बैडमिंटन की वॉल प्रैक्टिस (दीवार में शटल को मारकर प्रैक्टिस) देखने के बाद उन्होंने घर पर ही अभ्यास शुरू किया था। मनोज को आज यह शानदार मुकाम आसानी से नहीं बल्कि बचपन में किये संघर्षों के बदौलत प्राप्त हुआ है।
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