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कोटद्वार : कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत अपने इस कार्यकाल से नाखुश, बताई वजह

उत्तर नारी डेस्क

उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव 2022 होने से ठीक पहले कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने चुनाव न लड़ने का ऐलान किया था। तो वहीं, अब मंत्री हरक सिंह ने एक और बयान दे डाला है। जहां कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत ये कह रहे हैं कि मंत्री के रूप में अपने इस कार्यकाल से वह संतुष्ट नहीं हैं। इसकी वजह भी मंत्री ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताई है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि साढ़े चार साल के कार्यकाल में वह जनता के लिए सबसे कम काम कर पाए। कोविड भी इसका एक कारण रहा। साथ ही कोटद्वार मेडिकल कालेज का जिक्र करते हुए भी मंत्री ने कहा कि इसकी राह में उसी तरह के रोड़े अटकाए गए, जैसे दून मेडिकल कालेज की राह में अटकाए गए थे। इस दौरान उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर भी निशाना साधा और कहा कि कोटद्वार मेडिकल कालेज के लिए वह जितनी बार त्रिवेंद्र के सामने गिड़गिड़ाए, वैसा शायद ही किसी अन्य मामले में हुआ हो। साथ ही जोड़ा कि अब मेडिकल कालेज के लिए कसरत शुरू हो गई है और जल्द ही यह आकार लेगा।

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तो वहीं कैबिनेट मंत्री हरक सिंह ने उनकी कांग्रेस में वापसी की अटकलों पर भी विराम लगाने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि वह न तो किसी कांग्रेस नेता से मिले और न किसी से कोई चर्चा हुई तो आखिर ये बात आ कहां से रही है। जब कोई कहीं नहीं जा रहा तो फिर ऐसी चर्चा क्यों। साथ ही 2007 व 2012 के विधानसभा चुनावों का जिक्र करते हुए कहा कि चुनाव के वक्त आना-जाना लगा रहता है, जो कि सामान्य बात है।

जब मंत्री से यह पूछा गया कि क्या वह अपनी पुत्रवधू के लिए भी टिकट मांग रहे हैं, तो इस पर मंत्री ने कहा कि वह परिवारवाद के पक्षधर नहीं हैं। उन्होंने पार्टी से टिकट की कोई मांग नहीं की है। साथ ही कहा कि कोटद्वार के साथ ही जब भी मौका मिला, लैंसडौन क्षेत्र के लिए कई कार्य कराए है। उन्होंने यह भी दोहराया कि उनकी विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं है। ये बात वह पार्टी हाईकमान के समक्ष भी रख चुके हैं। हालांकि, चुनाव लड़ना अथवा न लड़ना परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

बताते चलें कि बीते दिनों कैबिनेट मंत्री हरक सिंह ने चुनाव न लड़ने का ऐलान किया था। कहा था कि इस बार मेरा चुनाव लड़ने का मन नहीं है जिसके चलते आगामी 2022 में विधानसभा चुनाव मैं नहीं लडूंगा। साथ ही यह भी कहा था कि उनका प्रभाव पहाड़ से लेकर मैदान तक राज्य की करीब 30 सीटों पर आज भी है। 

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