उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री राहत कोष के अंतर्गत सरकार लोगों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। जिससे आर्थिक रूप से कमजोर या फिर जरूरतमंद लोगों को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए पांच हजार से लेकर 10 हजार तक धनराशि मिलती है। परन्तु ऐसे में इस आर्थिक सहायता के नाम पर बेरीनाग में फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है। जहां इन दिनों बाजार में मुख्यमंत्री राहत कोष के नाम पर एक आवेदन पत्र पोस्ट ऑफिस के माध्यम से मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज रहे हैं। बताया जा रहा है कि अबतक एक हजार से अधिक लोगों ने इस आर्थिक सहायता के लिए आवेदन किया है। वहीं, इस आवदेन फार्म को भेजने में सौ रूपये तक की धनराशि खर्च हो रही है। साथ ही इस आवेदन पत्र के साथ राशन कार्ड, बैंक पासबुक और आधार कार्ड की फोटोकॉपी भी मांगी जा रही है। इस पर आवेदनकर्ताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री राहत कोष से आर्थिक मदद के लिए वह फार्म भरकर भेज रहे हैं। जिसमें पांच हजार से लेकर 10 हजार तक धनराशि मिलेगी।
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तो वहीं इस संबंध में विधायक गंगोलीहाट मीना गंगोला का कहना है कि जरूरतमंदों को मुख्यमंत्री राहत कोष से आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। जिसकी संस्तुति स्थानीय विधायक और जनप्रतिनिधियों द्वारा की जाती है। तभी आर्थिक सहायता मिलती है। अगर इस तरह का अगर कोई आवदेन फार्म बाजार में बेचा जा रहा है, तो यह गलत है। उन्होंने फार्म बेचने वालों के खिलाफ कार्यवाही और पुलिस जांच करने के आदेश प्रशासन को दिये हैं। वहीं अभी आर्थिक सहायता के लिए कोई भी इस तरह का आवेदन पत्र नहीं है। लिहाजा, अधिकांश लोग जानकारी के अभाव इस तरह आवदेन फार्म भर रहे हैं।
बताते चलें राहत कोष से विधयकों को 50 लाख तक की धनराशि मिलती है। जिसे विधायक द्वारा क्षेत्र के जरूरतमंदों लोगों को दिया जाता है। विधायक की संस्तुति पर सीएम कोष से धनराशि स्वीकृत की जाती है। पिछले दिनों ही लोगों को मुख्यमंत्री आर्थिक सहायता के चेक वितरित किये गए थे।
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