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उत्तराखण्ड ब्रेकिंग : 02 अक्टूबर 1994 रामपुर तिराहा कांड की सुनवाई अब फास्ट ट्रैक कोर्ट में होगी

उत्तर नारी डेस्क

उत्तराखण्ड राज्य को बनाने में 100 सालों का संघर्ष शामिल है और इस संघर्ष में कई बलिदान दिए गए, तब जाकर 09 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश राज्य से अलग कर के उत्तराखण्ड राज्य की स्थापना हुई। परन्तु राज्य आंदोलन के दौरान हुए इस संघर्ष में 7 राज्य आंदोलनकारी शहीद हुए थे। जिसपर सीबीआई ने मामले की जांच की और मुकदमे दर्ज कराए थे। इनमेें चार मुकदमों जिले में विचाराधीन हैं। पहले एसीजेएम द्वितीय की कोर्ट में मुकदमे की फाइल भेजी गई थी, लेकिन यहां लंबे समय से सुनवाई नहीं हो सकी थी।

एसीजेएम द्वितीय के पत्र के बाद सीजेएम ने प्रकरण की सुनवाई के लिए सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक को अधिकृत किया है। अधिवक्ता अनुराग वर्मा ने इसकी पुष्टि की है। नैनीताल मेें प्रैक्टिस कर रहे अधिवक्ता रजनीश चौहान के साथ उन्हें पैरवी के लिए पैनल मेें रखा गया है।

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पुलिस की गोली से इनकी मौत हुई थी। अब मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने चार मुकदमों के ट्रायल के लिए सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक को अधिकृत किया है। पैरवी के लिए दो अधिवक्ताओं की कमेटी भी बनाई गई है। जिसके बाद अब 27 साल पुराने मामले की सुनवाई के फास्ट ट्रैक कोर्ट में होने से जल्द फैसला आने की उम्मीद जगी है। 

बता दें प्रकरण की सीबीआई जांच के आदेश 1995 में हुए थे। सीबीआई ने कई मुकदमे दर्ज कराएं, जो अदालत में चल रहे हैं। तत्कालीन डीएम अनंत कुमार सिंह और एसएसपी आरपी सिंह भी नामजद किए गए थे। नौ नवंबर, 2000 को उत्तराखण्ड का गठन हुआ था। 

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