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09 नवंबर 2021 को गैरसैंण में राज्य स्थापना दिवस मनाएगा उत्तराखण्ड क्रान्ति दल

उत्तर नारी डेस्क

कई वर्षों के लंबे संघर्षों के बाद उत्तराखण्ड का निर्माण 9 नवम्बर 2000 को एक अलग राज्य के रूप में हुआ। जहां उत्तराखण्ड के कई क्रान्तिकारियों द्वारा किये गए अथक प्रयासों और पहाड़वासियों द्वारा दिए गए बलिदान के बाद उत्तराखण्ड एक अलग राज्य बन पाया। जिसकी खुशी अब 9 नवम्बर को पूरा उत्तराखण्ड राज्य स्थापना दिवस के रूप में मनाएगा। इस खुशी को मनाने और उत्तराखण्ड को अलग राज्य बनाने के पीछे जिस पार्टी का सबसे बड़ा योगदान रहा वह है उत्तराखण्ड क्रान्ति दल। 

इसी कड़ी में उत्तराखण्ड क्रान्ति दल राज्य स्थापना दिवस गैरसैंण में मनाएगा। दल के "केंद्रीय अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी" ने कहा कि राज्य की स्थायी राजधानी गैरसैंण होनी चाहिए। उक्रांद ने सबसे पहले गैरसैंण को ही राज्य की स्थायी राजधानी बनाने की बात कही और इसके लिए संघर्ष किया जो आगे भी जारी रहेगा। इस संबंध में "केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष हरीश पाठक" द्वारा दी गयी जानकारी के आधार पर राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर उत्तराखण्ड क्रान्ति दल गैरसैंण में राज्य स्थापना दिवस की खुशी मनाएगा। जहां इस कार्यक्रम में उत्तराखण्ड क्रान्ति दल के अधिक से अधिक सदस्य गैरसैंण में पहुंचेंगे और इन 21 सालों तक उत्तराखण्ड में हुए कार्यों का चिंतन मनन करेंगे। साथ ही गैरसैंण में 9 व 10 नवम्बर 2021 को दल की दो दिवसीय बैठक भी गैरसैंण में सुनिश्चित करेंगे। 

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उक्रांद के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष हरीश पाठक का कहना है कि उक्रांद ने गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग पहले से की थी। गैरसैंण को राजधानी के रूप में देखने का सपना 60 के दशक में पेशावर कांड के नायक चंद्र सिंह गढ़वाली द्वारा देखा गया था कि जब भी उत्तराखण्ड अलग राज्य बनेगा तो इसकी स्थायी राजधानी गैरसैंण बनेगी। उस वक्त उत्तराखण्ड क्रान्ति दल ने 1992 में गैरसैंण को उत्तराखण्ड की औपचारिक राजधानी तक घोषित कर दिया था। यही नहीं, उक्रांद ने पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के नाम पर गैरसैंण में एक पत्थर रख इसका नाम चंद्रनगर रख दिया था। सन 1994 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की सरकार द्वारा रमाशंकर कौशिक की अगुवाई में एक समिति का गठन भी किया गया था, इस समिति द्वारा सरकार को जो रिपोर्ट दी गई उसमें उत्तराखण्ड राज्य के साथ - साथ गैरसैंण राजधानी की भी अनुशंसा की गयी थी। परन्तु आज तक गैरसैंण स्थायी राजधानी नहीं बन पायी है। 

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इसी कड़ी में उत्तराखण्ड क्रान्ति दल राज्य स्थापना दिवस का यह कार्यक्रम गैरसैंण में मनाने जा रहा है ताकि गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग और भी बुलंद हो पाए। उनका कहना है कि जिन उम्मीदों से राज्य आंदोलनकारियों ने अपना त्याग बलिदान देकर उत्तराखण्ड राज्य की स्थापना की उन ख़्वाबों के अनुरूप आज का उत्तराखण्ड राज्य बनता नज़र नहीं आया। उक्रांद ने पहले ही गैरसैंण को राज्य की स्थायी राजधानी बनाने की बात कही थी। यदि गैरसैंण को स्थायी राजधानी बना दिया जाता तो इस क्षेत्र से लोगों का पलायन कम होता और इस दिशा में क्षेत्र में अच्छे स्कूलों का निर्माण भी होता। यदि शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी इस क्षेत्र में रहते तो चिकित्सा, यातायात और रोज़गार के क्षेत्र में नई- नई सुविधाओं की उपलब्धता होती और दुरूह क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों को भी सरकारी सुविधाओं का लाभ मिल पाता। उन्होंने कहा कि पहाड़ की राजधानी पहाड़ में होगी तभी तो उत्तराखण्ड का संपूर्ण विकास हो पाएगा। पर्वतीय जिलों की स्थिति आज भी बहुत खराब है। गर्भवती महिलाएं सड़कों और अस्पताल की सुविधाएं न होने से प्रसव के दौरान रास्तें में दम तोड़ रही है। शिक्षा का स्तर भी आज वहीं का वहीं है। अलग राज्य बनने के 20 साल बाद भी समुचित विकास नहीं हो पाया है। अस्पतालों में चिकित्सक नहीं हैं और स्कूलों में शिक्षक। उक्रांद इन्हीं मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य की जनता भाजपा व कांग्रेस की कथनी व करनी को समझ चुकी है। साथ ही उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों ने अपने व्यक्तिगत स्वार्थ को देखते हुए उत्तराखण्ड राज्य का बस इस्तेमाल किया है।

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