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विदेश में लाखों की नौकरी छोड़कर पहाड़ को खुशहाल करने में लगे हैं आशुतोष घिल्डियाल

तान्या रावत

विदेश में नौकरी, अच्छा पैकेज और अच्छा लाइफ स्टाइल हम में से ज्यादातर लोगों का यही सपना होता है, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो किसी और सपने को पूरा करने के लिए ये सब पीछे छोड़ देते हैं। उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल जिले के जहरीखाल ब्लॉक के अंतर्गत ग्रामसभा गजवाड, घिल्डियाल गांव के रहने वाले आशुतोष घिल्डियाल भी उन्हीं कुछ लोगों में से एक हैं।

आशुतोष घिल्डियाल बताते हैं कि लगभग 10-12 वर्षों तक वह अपने देश से बाहर रहे और उन्होंने अलग-अलग देशों में काम किया। उन्होंने वहां देखा कि कैसे बाहर से आये लोग दूसरे की मूल भूमि में आकर वहां की भूमि को सक्रिया कर सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं। जिसे देख उनके मन में  विचार आया कि क्यूँ न मैं भी अपने पैतृक गांव में ऐसा काम करूँ जिससे अपनी मातृभूमि से जुड़ा रहूँ, जिसके बाद वह साल 2017 में अपने परिवार के साथ अपने देश वापस लौट आए। इसके उन्होंने प्रोजेक्ट मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी की और अपने पैतृक गांव आए। जहां उन्होंने लेमन ग्रास की खेती की। उनकी इस पहल का उद्देश्य पलायन रोकने के साथ पहाड़ में जैविक खेती के जरिए स्वरोजगार को बढ़ावा देना है। इसके लिए वह दिन-रात कड़ी मेहनत कर अन्य ग्रामीणों के साथ मिलकर जैविक खेती से नकदी फसलों का उत्पादन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल 3 हेक्टेयर में उन्होंने लेमन ग्रास की खेती की और अब वर्तमान में 10 हेक्टेयर के अतिरिक्त कवर कर लिया है। उनके इस प्रयास के लिए देहरादून में कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने उन्हें सम्मानित भी किया है।

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आधुनिक तकनीक से खेती-बागवानी कर रहे प्रगतिशील किसान आशुतोष घिल्डियाल गांव में दिसम्बर माह में कृषि विभाग के सौजन्य से 200 किवी पौधों का प्लानटेंशन शुरू करने जा रहे है। प्रगतिशील किसान आशुतोष घिल्डियाल ने कहा वह जैविक खेती के जरिए गांव में नकदी फसलें जैसे अदरक, हल्दी, लेमन ग्रास फसलों का उत्पादन कर रहे है। वहीं उन्होंने बताया कि फसलों की मार्केटिंग के लिए वह मंडियों का जायजा ले रहे हैं ताकि वह समय रहते जब उनकी फसल तैयार हो जाए तो वह मंडियों में बेच सकें। 

आशुतोष घिल्डियाल उन लोगों की विचारधारा को भी बदलना चाहते हैं जो कहते हैं कि उत्तराखण्ड में ज्यादा कुछ नहीं हो सकता वह उन लोगों यह साबित कर के दिखाना चाहते हैं कि यहां सब कुछ हो सकता है, साथ ही वह चाहते है कि उनके इस अनुभव का लाभ सिर्फ उन्हें या उनके गांव को नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र को मिले।। उनकी इस पहल में गांव और आस पास के गांवों की महिलाओं की भागीदारी अधिक है। उनके साथ अभी गजवाड़, तिमिल पाणी गांव जुड़े है और वह अगले साल तक आस-पास के और गांवों को भी जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। पहाड़ से जारी पलायन को रोकने व स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए आशुतोष घिल्डियाल के साथ आस-पास गजवाड़, तिमिल पाणी गांवों के ग्रामीण भी मिलकर क्षेत्र में खेती-बागवानी को नई ऊंचाइयां दे रहे हैं।

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