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आज है मकर संक्रान्ति का पर्व, तो जानें इसका खास महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि

शीतल बहुखण्डी 

देवभूमि उत्तराखण्ड की धरती पर ऋतुओं के अनुसार कई अनेक पर्व मनाएं जाते हैं। ये पर्व हमारी संस्कृति को उजागर करते हैं। वहीं पहाड़ की परम्पराओं को भी कायम रखते हैं। हर महीने उत्तराखण्ड में बदलते मौसम अनुसार त्योहारों को मनाने की परम्परा है। उत्तराखण्ड में हिन्दी मास (महीने) की प्रत्येक 1 गत यानी संक्रान्ति को लोकपर्व के रुप में मनाने का प्रचलन रहा है।

उत्तराखण्ड में प्रत्येक महीने की संक्रांति को कोई न कोई त्यौहार मनाया जाता है। यूँ तो उत्तराखण्ड मे अनेकों त्यौहार मनाये जाते हैं। परन्तु उनमें से कई त्यौहार वे हैं जो पूरे उत्तरभारत और या फिर लगभग पूरे भारत में ही मनाये जाते हैं। जैसे- दीपावली, होली, जन्माष्टमी, और शिवरात्रि इत्याद्दी। परन्तु कुछ त्यौहार ऐसे भी हैं। जो केवल उत्तराखण्ड में ही मनाये जाते हैं। जैसे- फूलदेई और हरेला।

इसी क्रम में आज मकर संक्रांति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व मनाया जा रहा है जो कि जनवरी के महीने में 14 या 15 तारीख को मनाया जाता है। हिन्दू महीने के अनुसार पौष शुक्ल पक्ष में मकर संक्रांति पर्व मनाया जाता है। यह एकमात्र ऐसा त्यौहार है जोकि हर साल एक ही तारीख पर आता है। वास्तव में यह पर्व सोलर कैलेंडर का पालन करता है।

बताते चलें उत्तराखण्ड में इस त्यौहार को मकरेणी के नाम से जाना जाता है। इस त्यौहार मे पौड़ी गढ़वाल मे गिंदी मेला और कौथिग मेला लगता है। वहीं उत्तराखण्ड राज्य के कुमाउं में मकर सक्रांति पर “घुघुतिया” के नाम से त्यौहार मनाया जाता है। यह कुमाऊँ का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है और यह एक स्थानीय पर्व होने के साथ साथ स्थानीय लोकउत्सव भी है क्योंकि इस दिन एक विशेष प्रकार का व्यंजन घुघुत बनाया जाता है। इस दिन आटे मे गुड़ चीनी मिलाकर गूंथा जाता है और फिर उसके घुघुत बनाकर उन्हें तला जाता है। 

इस पर्व को उत्तरायणी पर्व के रूप में भी माना जाता है एवं गढ़वाल में इसे पूर्वी उत्तरप्रदेश की तरह “खिचड़ीसक्रांति” के नाम से मनाया जाता है। इस दिन उत्सव के रूप में स्नान, दान आदि किया जाता है एवं तिल और गुड के पकवान बांटे जाते है।

मकर सक्रांति का मुहूर्त

मकर संक्रांति का क्षण या सूर्य का मकर राशि में प्रवेश: 14 जनवरी की रात 08:49 बजे से

मकर संक्रांति का पुण्य काल: 15 जनवरी दिन शनिवार को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक

मकर संक्रांति की पूजा विधि

1. मकर संक्रांति के दिन शुभ मुहूर्त में स्नान कर लें। स्नान के पानी में काला तिल, हल्का गुड़ और गंगाजल मिला लें।

2. इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें। एक तांबे के लोटे में पानी भर लें।

3. अब उसमें काला तिल, गुड़, लाल चंदन, लाल पुष्प, अक्षत् आदि मिला लें।

4. इसके बाद सूर्य देव को स्मरण करके उनके मंत्र का जाप करें।

5. फिर उनको वह जल अर्पित कर दें।

6. उनसे अपने निरोगी जीवन और धन्य धान्य से पूर्ण घर देने की मनोकामना करें।

7. सूर्य देव की पूजा के बाद शनि देव को काला तिल अर्पित करें। आज के दिन सूर्य और शनि देव की काले तिल से पूजा करने पर दोनों ही प्रसन्न होते हैं।

8. जो लोग 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाएंगे, उनको तो शनि देव की अवश्य पूजा करनी चाहिए क्योंकि इस दिन शनिवार भी है।

मकर संक्रांति पर जरूर करें ये काम 

मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति पर जो जातक सच्ची श्रद्धा से भगवान गणेश, मां लक्ष्मी, भगवान सूर्य, भगवान शिव की पूजा करते हैं। ऐसे जातकों का सोया भाग्य भी जाग जाता है और जीवन में सुख समृद्धि दस्तक देने लगती हैं। इस दिन तिल, गुड़ और खिचड़ी का दान करना भी शुभ माना गया है।  

खगोल से जुड़ा है मकर संक्रांति 

आपको बता दें मकर संक्रांति खगोल से भी जुड़ा हुआ है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकल अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं। कहा जाता है कि इस खास दिन पर सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए खुद उनके घर में प्रवेश करते है। इस दौरान कहते है कि एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय ही सौर मास है। 

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