उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून में दुर्लभ प्रजाति में शामिल रेड सैंड बोआ सांप (दो मुंहा सांप) की तस्करी करने के आरोप में पुलिस ने पांच तस्करों को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि बरामद सांप की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में करोड़ों रुपये बताई जा रही है। जिसे तस्कर बिहार समेत अन्य राज्यों में बेचने (Two Faced Snake Smuggling In Bihar) की फिराक में थे। फ़िलहाल सभी के खिलाफ तस्करी करने के आरोप में मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया है। वहीं बरामद सांप की लंबाई 1.14 मीटर, मोटाई 0.18 सेंटीमीटर और वजन 2 किलो है।
बता दें एसएसपी/डीजीपी जन्मेजय खंडूरी ने दुर्लभ प्रजातियों के वन्यजीवों की तस्करीं पर रोकथाम हेतु जनपद के समस्त थाना प्रभारियों को आदेशित किया गया है। निर्देशों के क्रम में पुलिस अधीक्षक ग्रामीण व क्षेत्राधिकारी ऋषिकेश महोदय के निकट पर्यवेक्षण में थानाध्यक्ष रायवाला के द्वारा उपरोक्त आदेश के अनुपालन में दुर्लभ प्रजातियों के वन्यजीवों की तस्करी पर रोकथाम हेतु थाना रायवाला के समस्त अधिकारी कर्मचारी गणों को ब्रीफ कर निर्देशित किया गया।उपरोक्त आदेश निर्देशों के क्रम में थानाध्यक्ष भुवन चन्द्र पुजारी, थाना प्रभारी रायवाला द्वारा थाना रायवाला से पुलिस टीम का गठन गठन किया गया। गठित पुलिस टीम द्वारा वन्य प्राणियों की तस्करी के संबंध में मुखबिर की सूचना पर मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग देहरादून हरिद्वार थाना गेट रायवाला के पास नाकाबंदी कर छापेमारी में वाहन को रोककर 5 तस्करों को धर-दबोचा। जिनके पास से दुर्लभ प्रजाति का रेड सैंड बोआ सांप बरामद हुआ।
उपरोक्त सांप की पुष्टि हेतु वन विभाग की टीम को मौके पर बुलाया गया जिनके द्वारा उपरोक्त दुर्लभ सांप की “रेड सैंड बोआ सांप के रुप में की गयी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस एक सांप की कीमत करोड़ों रुपए में है। इसका इस्तेमाल कैंसर व अन्य प्रकार की दवाई बनाने में होता है। उक्त दुर्लभ सर्प रेड सैंड बोआ को सुरक्षा की दृष्टि से वन विभाग मोतीचूर के सुपुर्द किया गया। पूछताछ में तस्करों ने बताया गया कि हम लोग उक्त दुर्लभ प्रजाति के सांप रेड सैंड बोआ का उपयोग तंत्र क्रियाओं में प्रयोग करते हैं। उक्त सांप का इस्तेमाल हम लोग पैंसा कमाने के लिए करते हैं। जिस कारण उपरोक्त दुर्लभ प्रजाति के सांप का हमारे द्वारा गोपनीय तरीके से पकड़ कर अवैध व्यापार किया जाता है।
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बताते चलें रेड सैंड बोआ सांप की तस्करी बिहार, बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड समेत कई राज्यों में होती है। इस सांप से कैंसर समेत कुछ बीमारियों के इलाज के लिए दवा बनाई जाती है। साथ ही इसका इस्तेमाल सौंदर्य प्रसाधन बनाने में भी होता है।
वहीं, आरोपियों की पहचान अनीस पुत्र रफीक, सलीम पुत्र वकील, सद्दाम पुत्र फैयाज, जैदी पुत्र जहीर और जोबिन पुत्र अववार निवासी मुरादाबाद उत्तर प्रदेश के रूप में हुई है। आरोपियों के आपराधिक इतिहास की जानकारी भी उत्तर प्रदेश पुलिस की सहायता से खंगाली जा रही है। तस्करी में प्रयुक्त कार भी पुलिस ने सीज कर दी है।
वहीं इस संबंध में थाना अध्यक्ष भुवन चंद पुजारी ने बताया कि इन दिनों पुलिस की एक टीम वन्यजीवों की तस्करी के संबंध में अलर्ट है। ये टीम जगह-जगह चेकिंग कर वन्यजीवों की तस्करी करने वालों को गिरफ्तार कर रही है।
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