उत्तर नारी डेस्क
बता दें, रवि जोशी किसी पहचान के मोहताज नहीं है थे। उन्होंने खतरनाक से खतरनाक सांप, मॉनिटर लिजार्ड, बिज्जू , लेपर्ड, एलिफैंट को रेस्क्यू किया है। रवि जहरीले सांप को ऐसा पकड़ते थे जैसे मानो कोई खिलौना हो। देहरादून में मुख्यमंत्री आवास से लेकर राजभवन, सचिवालय और आम घरों तक रवि जोशी ने सैकड़ों सांपों को पकड़कर उन्हें जंगल में छोड़कर नया जीवन दिया। वन विभाग रवि के इस हुनर का कायल थे। यही कारण था कि रवि जोशी को सिटी फॉरेस्ट रेस्क्यू टीम का इंचार्ज नियुक्त किया गया था। वहीं, उनके निधन से विभाग को गहरा शोक लगा है जो कि उत्तराखण्ड के लिए अपूर्ण क्षति है।
आपको बता दें हजारों वाइल्ड लाइफ को नई जिंदगी देने वाले रवि खुद दो बार मौत के मुंह से लौट चुके थे, लेकिन इस बार वह जिंदगी से हार गए। रवि ने कभी पान, जर्दा, तंबाकू, गुटखा भी नहीं खाया, लेकिन फिर भी उन्हें मुंह का कैंसर हो गया। काफी लंबे समय से उनका इलाज चल रहा था। वह बीच में बिल्कुल ठीक हो गए थे लेकिन अचानक तबीयत बिगड़ने पर उनको दून अस्पताल में भर्ती किया गया था। जहां बीते दिन शुक्रवार को उन्होंने दम तोड़ दिया वन विभाग समेत पूरे उत्तराखण्ड में शोक की लहर है।
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