उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड के हिमालयी इलाकों और खासकर जंगल से सटे ग्रामीण इलाकों में वन्यजीवों के बीच संघर्ष लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इसका मुख्य कारण संरक्षित क्षेत्र का अभाव, मानव आबादी की तरफ गुलदार का बढ़ना और आधुनिक युग में लगातार बढ़ रहे शहरीकरण है। यही कारण है कि आये दिन वन्यजीव संघर्ष में जानवरों के मृत्यु की खबरे भी लगतार सामने आती रहती है। इसी क्रम में सुरई वन रेंज में वन्यजीव संघर्ष में दो टाइगर के हमले में एक गुलदार की मौत की ख़बर सामने आयी है। वहीं गुलदार को मारने के बाद दोनों बाघ कई घंटों तक शव के पास मंडराते रहे।
बता दें सुरई वन रेंज में गश्ती दल ने वन विभाग के उच्चाधिकारियों को इसकी सूचना दी कि कक्ष संख्या 46 में एक गुलदार का शव दिखा है। गश्ती दल की सूचना पर रेंजर सुरई रेंज सुधीर कुमार और एसडीओ शिवराज सिंह टीम के साथ मौके पर पहुंचे। जहां वन अधिकारियों ने मौके पर देखा कि दो टाइगर गुलदार के शव के पास टहल रहे हैं। कई घंटों की मशक्कत के बाद वन विभाग ने गुलदार के शव को टाइगर के कब्जे से किसी तरह छुड़ाया। फिर गुलदार के शव का दो डॉक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया। इस संबंध में वन अधिकारियों ने बताया कि वन्य जीव संघर्ष में टाइगर ने गुलदार को मारा है। मृतक मादा गुलदार की उम्र सात से आठ साल के लगभग है।
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