उत्तर नारी डेस्क
बता दें, वर्ष 2019 में उत्तराखण्ड सरकार और एयरपोर्ट अथारिटी के बीच यहां वाटर एयरोड्रम बनाने को लेकर समझौता हुआ था। बीते वर्ष एयरपोर्ट अथारिटी ने इस झील में वाटर एयरोड्रम के लिए जगह भी चिह्नित कर ली थी। बताया जा रहा है कि, वाटर एयरोड्रम ऐसे स्थान पर बनाया जायेगा, जहां मोटर बोट के संचालन को अनुमति नहीं होगी। इस योजना को केंद्र ने इस साल नए स्वरूप में लिया है। इसके लिए केंद्र ने सागरमाला परियोजना के अंतर्गत एक एसपीवी का गठन किया है, जो देश के विभिन्न राज्यों में सी प्लेन संचालन के लिए ढांचागत व तकनीकी सहयोग देगी।
सचिव नागरिक उड्डयन दिलीप जावलकर ने बताया कि प्रदेश सरकार की ओर से ऊधमसिंह नगर का हरिपुरा जलाशय, ऋषिकेश बैराज, टिहरी झील, नानकमत्ता बैराज और कालागढ़ झील पर सी प्लेन उतारने की संभावना का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था। इस पर केंद्र ने इन स्थानों पर सी प्लेन के संचालन के संबंध में अध्ययन करने को कहा। इन सभी स्थानों को सी प्लेन के लिए उपयुक्त पाया गया है। फिलहाल, आचार संहिता लागू होने के कारण इस पर कार्य नहीं किया जा सकता, जिस वजह से यह कार्य रुका हुआ है। आचार संहिता समाप्त होने पर नई सरकार के दिशा-निर्देशानुसार पर इस कार्य को आगे बढ़ाया जाएगा।
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