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उत्तराखण्ड : 100 साल में पहली बार लड़कियों को मिलेगा यहां प्रवेश, पढ़ें पूरी ख़बर

उत्तर नारी डेस्क 

उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून में स्थित राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (आरआईएमसी) के 100 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है जब यहां लड़कियों को प्रवेश दिया जाएगा। अभी तक यहां केवल छात्रों को ही दाखिला दिया जाता था। दरअसल, राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कालेज में प्रवेश के लिए हर साल दो बार प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाता है। जून और दिसंबर में होने वाली इस परीक्षा में अभी तक देशभर से 25 छात्रों को प्रवेश दिया जाता था। लेकिन अब इसके अलावा पांच छात्राओं को भी आरआइएमसी मेें दाखिला दिया जाएगा। बता दें, आरआईएमसी में स्टूडेंट्स क्लास 8 के बाद एडमिशन लेते हैं और यहां बेसिकली उनकी नींव तैयार की जाती है जिसके आधार पर वे आगे आर्म्ड फोर्सेस ज्वॉइन करते हैं। जिन छात्रों का फोर्स ज्वॉइन करने का सपना होता है और छोटी उम्र से ही वे इस दिशा में काम करना चाहते हैं, वे राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज में एडमिशन लेते हैं। 


अंग्रेजों ने की थी स्थापना

राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज की स्थापना अंग्रेजों ने 13 मार्च 1922 में की थी। पहले विश्व युद्ध के बाद अंग्रेजों को बेहतर मिलिट्री ट्रेनिंग की जरूरत महसूस हुई। इसके बाद प्रिंस ऑफ वेल्स ने अपने भारत दौरे में इसकी शुरुआत की थी। यहां उन इंडियन यूथ को ट्रेनिंग दी जाती है जो ब्रिटिश-इंडियन आर्मी में मिलिट्री ऑफिसर्स के तौर पर आगे चलकर नियुक्त होते हैं। अपने निर्माण के वक्त से अभी तक आरआईएमसी ने केवल लड़कों को ट्रेन किया है और एनडीए और नेवल एकेडमी को कैंडिडेट्स दिए हैं। 


स्वर्णिमा थी आरआइएमसी से पहली महिला अफसर

आरआइएमसी में छात्राओं के दाखिले के द्वार अब खुले पर इसकी नींव बहुत पहले ही पड़ गई थी। आरआइएमसी कमांडेंट कर्नल अजय कुमार ने बताया कि 1992 में टेस्ट के रूप में संस्थान के ही एक फैकल्टी की बेटी स्वर्णिमा थपलियाल को यहां दाखिला दिया गया। आरआइएमसी से पासआउट वह पहली महिला अधिकारी थीं। स्वर्णिमा की तरह ही अब कई और लड़कियां सेना में अफसर बनने का अपना सपना पूरा कर सकेंगी। मिलिट्री कॉलेज में कैडेट्स को शुरू से ही सेना में महत्वपूर्ण पदों को संभालने की ट्रेनिंग दी जाती है।

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