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उत्तराखण्ड : यहाँ की होली है खास, हिन्दू गाते हैं गीत और मुस्लिम बजाते हैं ढोल

उत्तर नारी डेस्क

होली उत्सव का पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। वस्तुतः यह पर्व सामाजिक एकता का सबसे बड़ा पर्व है जिसमें स्वामी-सेवक, छोटे-बड़े सभी प्रकार के भेदभाव समाप्त हो जाते हैं। साथ ही सारा समाज होली के रंग में रंग जाता है। वहीं उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ जिले में खेली जाने वाली होली की कुछ और ही बात है। इस होली में आपको सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल दिखेगी 

आपको बता दें पिथौरागढ़ नगर के पुरानी बाजार में हिंदू, होली के गीत गाते हैं। तो वहीं मुस्लिम ढोल पर थाप देते हैं। वर्षों से जारी यह सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती जा रही है। पुराना बाजार में खेली जाने वाली होली का इतिहास करीब सौ साल पुराना है। इसके बारे में लोग बताते हैं, कि यहां मथुरा से चीर लाई गई। तब से पुराना बाजार के चौक पर चीर स्थापित करने और होली गायन की परंपरा शुरू हुई। यहां पास में ही रहने वाले मीर वजीर अली के परिवार के लोग भी शामिल होने लगे। आज भी मुस्लिम समुदाय के लोग चीर लगाने से लेकर होली के समापन तक होली गायन के दौरान ढोल बजाते हैं। मीर वजीर अली और अफजल अली (दोनों अब दिवंगत), अख्तर अली, बहार अली, सलीम खान होली में भागीदारी करते रहे। इन परिवारों के आज की पीढ़ी के युवा सिकंदर अली, भोला, तोहराब अली समेत अन्य लोग होली गायन के दौरान ढोल वादन करते हैं। इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता सुनील वर्मा कहते हैं कि पुराना बाजार की होली सामाजिक सद्भाव की बड़ी मिसाल है। जो कि पिथौरागढ़ जिले की अहम विरासत है। वहीं एक अन्य सामाजिक कार्यकर्ता अकबर खान का कहना है कि पुराना बाजार की होली को दोनों समुदाय के लोग सालोसाल से मिल-जुलकर मनाते रहे हैं। ऐसे त्योहार एक-दूसरे के प्रति अपनत्व और भाईचारे को  और मजबूत करते हैं।  

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