उत्तर नारी डेस्क
मेहनत से जोडी गई रकम के एकदम से गायब हो जाने पर हतप्रभ किसान को कुछ नहीं सूझा और कई दिनों तक गुमसुम से रहे। तब गांव के अन्य लोगों को पता चलने पर सभी के द्वारा थानाध्यक्ष खानपुर की कार्यशैली का विश्वास दिलाते हुए थाने जाने को कहा। कुछ दिनों की उधेडबुन के पश्चात खानपुर थाने पहुंचकर गुमसुम हालत में ही आपबीती बताते हुए न्याय की गुहार लगाई। बुजुर्ग की व्यथा सुन थानाध्यक्ष खानपुर अरविंद रतूड़ी द्वारा चचा को पूरा विश्वास दिलाते हुए सबसे पहले हताशा से बाहर निकाला साथ ही तत्काल मुकदमा दर्ज कराते हुए एक कार्ययोजना बनाई और step-by-step अपनी टीम के साथ आगे बढ़े। I.O SI नवीन चौहान चचा से जानकारी प्राप्त कर पुलिस टीम के साथ बैंक (घटनास्थल) पहुंचे। संबंधितों से हजारों-हजार प्रश्न कर CCTV कैमरों को भी खंगाला।
कुछ दिनों की माथापच्ची से एक क्लू मिला "बैंक गार्ड का स्ट्रॉन्ग रूम में जाना और तुरंत CCTV कैमरों का बंद हो जाना", अपने आप ही कहानी बयां कर रहा था एवं इसके अतिरिक्त भी कुछ दिनों में जुटाई गई अन्य कई सारी कडियों को जब जोड़ा तो शक की सुई सही दिशा में घूमी, तब निष्कर्ष पर पहुंचते हुए पुलिस की सुमधुर पूछताछ शुरु हुई और बैंक गार्ड ने शुरुआत में "साहब मैंने कुछ नहीं किया" की घिसी पिटी लाइन कई बार दोहराने के बाद सच्चाई को स्वीकार करते हुए अपना गुनाह कबूल किया।
बैंक गार्ड पपेन्द्र शर्मा ने इस घालमेल में खानपुर पुलिस टीम को अपने एक अन्य साथी के बारे में भी बताया जिसके साथ मिलकर इस घटना को अंजाम दिया गया था। खानपुर पुलिस टीम द्वारा अभियुक्त की निशांदेही पर चचा की चेक बुक व नगदी भी बरामद की गई। चचा अब खुश हैं लेकिन खानपुर पुलिस को देखकर अगर कुछ बोलने की कोशिश करते हैं तो ऑखे डबडबा जाती हैं, कुछ बोल नहीं पाते। वहीं, स्थानीय लोगों में सिर्फ एक ही बात की चर्चा है-- "रकम तो बहुत छोटी थी पर खानपुर पुलिस ने पूरा जोर लगा दिया।"
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