उत्तर नारी डेस्क
जिस मां ने 9 महीने अपने कोख में रखा, वह न जाने आज क्यों निर्दयी हो गई। मां की ममता को कलंकित कर गई, इंसानियत शर्मसार हो गई। जिस मासूम ने अभी तक दुनिया ठीक से जिया भी नहीं, उसे उसकी निर्दयी मां मरने के लिए जंगल में छोड़ दिया था। बता दें, पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग में एक मां बेटे की चाह में अपनी ही नवजात बेटी की दुश्मन बना गई और जंगल में मरने के लिए छोड़ दिया था। वहीं, पुलिस को सूचना मिली कि नरगोली ब्लॉक में दौलीगाड गांव के पास जंगलों में नवजात शिशु पड़ा है। जिसके बाद बेरीनाग थानाध्यक्ष प्रताप सिंह नेगी के नेतृत्व में पुलिस की टीम वहां मौके पर पहुंची और शव को अपने कब्जे में लिया। पुलिस ने महिला को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस ने बताया कि मामले की जांच की तो पता चला कि प्रेमा देवी पत्नी रमेश चंद्र उपाध्याय निवासी ग्राम दौलीगाड जो गर्भवती थी और 10 मई से ही अपने तीन बच्चों के साथ गायब है। पुलिस ने इस मामले में प्रेमा देवी के पति रमेश उपाध्याय से पूछताछ की तो उसने बताया कि वह चंडीगढ़ में नौकरी करता है और 13 मई को ही वह ही वह घर आया है। जब वह घर आया तो उसे की पत्नी घर में नहीं मिली और उसे बताया गया कि उसकी पत्नी गंगोलीहाट में देखी गई है। जिसके बाद थानाध्यक्ष पति रमेश उपाध्याय के साथ महिला की तालाश में शनिवार को गंगोलीहाट पहुंचे। यहां प्रेमा देवी अपने तीन बच्चों के साथ किराए के मकान में रह रही थी। इसके बाद पुलिस महिला को अपने साथ बेरीनाग थाने ले आई। वहीं, महिला ने पुलिस पूछताछ में अपना जुर्म कबूलते हुए बताया कि 6 मई को उसने गांव के जंगलों में बच्ची को जन्म दिया था और उसे वहीं पर कपड़े में लपेटकर रख दिया था। अगले दिन महिला फिर से जंगल में गई और कपड़े में लिपटी नवजात बच्ची को गड्ढे में रख दिया। इसके बाद पुलिस महिला को लेकर उसकी जगह पर पहुंची, लेकिन वहां पर कोई भी शव नहीं मिला। हालांकि जिस पर स्थान पर महिला ने शव रखने की बात कही थी, वहां से करीब 20 से 25 मीटर दूर एक चीड़ के पेड़ की जड़ पर वो कपड़ा फंसा हुआ था, जिसमें महिला ने नवजात बच्ची का शव रखे होने की बात कही थी। इसके बाद पुलिस महिला को वापस थाने ले आई और उसके खिलाभ धारा 315, 317 और 201 में मुकदमा दर्ज किया।
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