उत्तर नारी डेस्क
बेटियां किसी से कम नहीं होती हैं। आज के समय में बेटियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है। अच्छा लगता है जब बेटियां आगे बढ़कर अपने परिवार सहित प्रदेश और देश का नाम रोशन करती है। यूँ तो पर्वतीय जिलो में आज भी संसाधनों की कमी है लेकिन इसके बाद भी अगर कोई बड़े सपने को पूरा करता है तो वह पीढ़ी के लिए मिसाल बन जाता है। अब पहाड़ की एक और बेटी का नाम इसी क्रम में जुट गया है। आपको बता दें इस बार अल्मोड़ा जिले की बेटी ने इतिहास रच दिया है। रानीखेत निवासी तरन्नुम कुरैशी भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में भर्ती होने के बाद पहली महिला आरक्षी बन गई है। जिसके बाद उनके गृह क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। तरन्नुम ने केवल अपने क्षेत्र ही नहीं बल्कि समूचे राज्य की बालिकाओं के लिए मिसाल पेश की है। छह माह का कठिन प्रशिक्षण प्राप्त कर घर पहुंची तरन्नुम का लोगों ने फूल मालाओं के साथ स्वागत किया। इस दौरान तरन्नुम ने अधिक से अधिक बालिकाओं से सेना में जाकर देश सेवा का आह्वान किया। बता दें, तरन्नुम कुरैशी अल्मोड़ा जिले के रानीखेत में कुरैशियान मोहल्ला की रहने वाली है। तरन्नुम ने राजकीय बालिका इंटर कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की थी। जिसके बाद उन्होंने राजकीय महाविद्यालय से ग्रेजुएशन किया है। वह एनसीसी की कुशल कैडेट भी रही। स्व. अहमद बक्श व स्व. नफीसा खातून की आठवीं संतान तरन्नुम को बचपन से ही सेना में भर्ती हो देश सेवा का शौक था। इसके लिए उसने कड़ी मेहनत भी की। तरन्नुम ने बताया कि बचपन में पहले माता पिता व उनके निधन के बाद दोनों भाइयों ने उसे सेना में जाने के लिए प्रोत्साहित किया। तरन्नुम की भर्ती 2017 में हो गई थी। लेकिन कोरोना के कारण 2021 में ट्रेनिंग के लिए बुलाया गया। 167वें बैच में 600 कैडेटों का चयन हुआ, इसमें 77 बालिकाएं थीं। वहीं, तरन्नुम का दावा है कि उत्तराखण्ड से मात्र उन्हीं का चयन हुआ है। वह 6 महीने की कड़ी ट्रेनिंग के बाद घर आई हैं। उन्हें अब जोधपुर में तैनाती मिल जाएगी।
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