उत्तर नारी डेस्क
बता दें, आयुर्वेद विश्वविद्यालय की स्थापना होने के बाद से ही भ्रष्टाचार की शिकायतें मिलने लगी थी। कई बार वित्तीय अनियमितताओं, भ्रष्टाचार, भर्ती और परीक्षाओं में धांधली की शिकायतों पर जांच भी की गई, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई थी। जिसके चलते इस बार सचिव समिति की बैठक में विवि में हो रही अनियमितताओं का मामला उठा था। इस वजह से मुख्यमंत्री धामी ने उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति सुनील जोशी, तथाकथित प्रभारी कुलसचिव राजेश अधाना और मुख्य वित्त अधिकारी अमित जैन के विरुद्ध सतर्कता विभाग (विजिलेंस) को जाँच कर कड़ी कार्यवाही का आदेश दिया। अपर सचिव के निर्देश पर चार सदस्यों की एक कमेटी पहले से ही जांच कर रही है। लेकिन बताया जा रहा है कि यूनिवर्सिटी के कई बड़े अधिकारी इस कमेटी को जांच में सहयोग नहीं कर रहें हैं।
तो क्या फंसेंगे हरक सिंह?
आयुर्वेद विश्वविद्यालय में विजिलेंस जांच शुरू होने जा रही। तो वहीं ये सवाल भी खड़ा हो रहा है कि क्या विजिलेंस जांच की तपिश में इस विभाग का जिम्मा संभाल चुके हरक सिंह रावत भी झुलस सकते हैं। बता दें, हरक सिंह रावत ने पांच साल तक ये विभाग संभाला है और उनके कार्यकाल में विभाग में तमाम नियुक्तियां हुईं। वहीं, अब ऐसा न हो कि हरक सिंह रावत भी इस लपेटे में आ जाएं। अब यह जांच रिपोर्ट से ही स्पष्ट हो पाएगा कि कब कौन सी भर्ती सही हुई कौन सी नियमों के खिलाफ।
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