उत्तर नारी डेस्क

श्री जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली से संस्कृत विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर, हरिराम मिश्र ने वर्तमान समाज में व्याप्त अनैतिकता, भ्रष्टाचार आदि बुराईयों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि और तो और वर्तमान में अध्यापक भी अपने कर्तव्यों का सही अर्थों में निर्वहन नहीं कर रहे हैं। इसी प्रकार सरकारी संस्थानों में होने वाले भ्रष्टाचार को भी उनके द्वारा इंगित किया गया साथ ही समाज के प्रत्येक वर्ग से कर्तव्यनिष्ठ होकर जीवन जीने की अपील की गयी। सत्राध्यक्ष के रूप में श्री लाल बहादुर शास्त्री केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के व्याकरण विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर दयाल सिंह पंवार ने वैदिक काल से लेकर आधुनिक काल तक समाज में विकलाङ्गों के प्रति व्याप्त रहे चिन्तन एवं उसके प्रायोगिक पक्ष दोनों पर ही सप्रमाण प्रकाश डाला। एवं विकलाङ्ग व्यक्तियों के साथ भी सामान्य व्यक्तियों के जैसा ही व्यवहार करने की जरूरत पर बल दिया। महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ व्रजेन्द्र कुमार सिंहदेव द्वारा सभी अतिथियों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया गया। यह द्विदिवसीय आभासीय राष्ट्रीय संगोष्ठी कुल आठ सत्रों में सम्पन्न हुई। जिसमें देश के मूर्धन्य विद्वानों एवं विदुषियों द्वारा उपर्युक्त विषय पर अपने विचार व्यक्त किए गए। जिनमें महाविद्यालय के साहित्य विभाग के वरिष्ठ आचार्य डाॅ.निरञ्जन मिश्र, डाॅ.मञ्जुला रथ,प्रोफेसर भारती जोशी, आचार्या अन्नपूर्णा, डाॅ.मीनाक्षी रावत, डाॅ.अमित शर्मा, डाॅ.पूजा शर्मा, डाॅ.माया इंग्ले, डाॅ.रीता नामदेव, डाॅ.अरुण कुमार आदि प्रमुख हैं। इस द्विदिवसीय आभासीय राष्ट्रीय संगोष्ठी से संबंधित प्रतिवेदन को क्रियान्वयन हेतु भारत सरकार को शीघ्र ही प्रेषित किया जायेगा। कार्यक्रम का सञ्चालन हिन्दी विभाग की सहायकाचार्या एवं कार्यक्रम की मुख्य संयोजिका डाॅ.मञ्जू पटेल व सह संयोजक डाॅ.दीपक कोठारी द्वारा किया गया।इस अवसर पर महाविद्यालय के छात्र व डाॅ.आलोक कुमार सेमवाल, गौरव असवाल, मनोज गिरी आदि उपस्थित रहे।
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