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हेलन केलर जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित द्विदिवसीय आभासीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन

उत्तर नारी डेस्क 

हेलन केलर जयन्ती के उपलक्ष्य में चल रही द्विदिवसीय आभासीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आज समापन हुआ। ज्ञात हो कि हेलन एडम्स केलर की 142वीं जयन्ती के उपलक्ष्य में श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय हरिद्वार के आधुनिक विषय विभाग (हिन्दी)द्वारा दि-27 व 28 जून 2022 को ""विकलाङ्ग विमर्श/स्त्री विमर्श समावेशी विकास एवं चुनौतियाँ""विषयक द्विदिवसीय आभासीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया था। जिसका उद्देश्य समाज में विकलाङ्गों के प्रति व्याप्त उपेक्षा भाव को दूर कर एक स्वस्थ व सकारात्मक दृष्टिकोण को जन्म देना था। दिनांक 27-06-2022 उद्घाटन सत्र को मुख्यवक्ता के रूप में सम्बोधित करने हेतु अमेरिका से जुड़े, महात्मा गाँधी विश्वविद्यालय वर्धा, महाराष्ट्र के पूर्व कुलपति प्रोफेसर गिरीश्वर मिश्र ने कहा कि लोगों में हो रही धार्मिक प्रवृत्ति के अभाव में ही इस प्रकार की दूसरों के प्रति उपेक्षा बुद्धि का जन्म होता है अतः प्रत्येक व्यक्ति को धार्मिक जीवन जीना चाहिए तभी समाज में व्याप्त इस प्रकार की दुर्भावनाओं का सम्पूर्ण रूप से नाश हो पायेगा। इससे पूर्व केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के कुलपति प्रोफेसर श्रीनिवास वरखेडी जी ने अपने वीडियो क्लिप के माध्यम से समाज में दृष्टिबाधितों आदि के प्रति देखे जाने वाले संकीर्ण व्यवहार को छोड़ सभी को आत्मीय भाव से देखने की अपील की।दिल्ली में ही स्थित श्री लाल बहादुर शास्त्री केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय से सभा को संबोधित करने हेतु जुड़े महाविद्यालय प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर बिहारी लाल शर्मा ने हेलन केलर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शारीरिक अक्षमता के बावजूद भी हेलन केलर का आत्मबल अत्यन्त उन्नत था तभी उसने जीवन में उन्नति के प्रत्येक शिखर को छुआ।

श्री जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली से संस्कृत विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर, हरिराम मिश्र ने वर्तमान समाज में व्याप्त अनैतिकता, भ्रष्टाचार आदि बुराईयों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि और तो और वर्तमान में अध्यापक भी अपने कर्तव्यों का सही अर्थों में निर्वहन नहीं कर रहे हैं। इसी प्रकार सरकारी संस्थानों में  होने वाले भ्रष्टाचार को भी उनके द्वारा इंगित किया गया साथ ही समाज के प्रत्येक वर्ग से कर्तव्यनिष्ठ होकर जीवन जीने की अपील की गयी। सत्राध्यक्ष के रूप में श्री लाल बहादुर शास्त्री केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के व्याकरण विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर दयाल सिंह पंवार ने वैदिक काल से लेकर आधुनिक काल तक समाज में विकलाङ्गों के प्रति व्याप्त रहे चिन्तन एवं उसके प्रायोगिक पक्ष दोनों पर ही सप्रमाण प्रकाश डाला। एवं विकलाङ्ग व्यक्तियों के साथ भी सामान्य व्यक्तियों के जैसा ही व्यवहार करने की जरूरत पर बल दिया। महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ व्रजेन्द्र कुमार सिंहदेव द्वारा सभी अतिथियों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया गया। यह द्विदिवसीय आभासीय राष्ट्रीय संगोष्ठी कुल आठ सत्रों में सम्पन्न हुई। जिसमें देश के मूर्धन्य विद्वानों एवं विदुषियों द्वारा उपर्युक्त विषय पर अपने विचार व्यक्त किए गए। जिनमें महाविद्यालय के साहित्य विभाग के वरिष्ठ आचार्य डाॅ.निरञ्जन मिश्र, डाॅ.मञ्जुला रथ,प्रोफेसर भारती जोशी, आचार्या अन्नपूर्णा, डाॅ.मीनाक्षी रावत, डाॅ.अमित शर्मा, डाॅ.पूजा शर्मा, डाॅ.माया इंग्ले, डाॅ.रीता नामदेव, डाॅ.अरुण कुमार आदि प्रमुख हैं। इस द्विदिवसीय आभासीय राष्ट्रीय संगोष्ठी से संबंधित प्रतिवेदन को क्रियान्वयन हेतु भारत सरकार को शीघ्र ही प्रेषित किया जायेगा। कार्यक्रम का सञ्चालन हिन्दी विभाग की सहायकाचार्या एवं कार्यक्रम की मुख्य संयोजिका डाॅ.मञ्जू पटेल व सह संयोजक डाॅ.दीपक कोठारी द्वारा किया गया।इस अवसर पर महाविद्यालय के छात्र व डाॅ.आलोक कुमार सेमवाल, गौरव असवाल, मनोज गिरी आदि उपस्थित रहे।

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