तान्या रावत
आलोक नेगी बताते हैं कि उनके पिता जो जुडिशरी डिपार्टमेंट से वॉलेंट्री रिटायर्ड है वह चाहते थे की उनका बेटा इंजीनियर बने। आलोक ने उनकी इच्छा का मान रखते हुए बी.टेक (सिविल ब्रांच) की पढ़ाई शुरू की। लेकिन आलोक का रुझान तो बचपन से ही फाइन आर्ट्स की ओर था। तो स्वाभाविक था कि उनका मन इंजीनियरिंग की पढ़ाई में कैसे लगता, जिस वजह से उन्होंने पिता की आज्ञा के विरुद्ध जाकर बी.टेक की पढ़ाई को द्वितीय वर्ष में ही छोड़ दिया। इसके बाद आलोक ने अपने सपने को साकार करने के लिए ग्राफ़िक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी देहरादून में एडमिशन लिया और बी.एससी इन एनीमेशन की पढ़ाई शुरू की। कोर्स पूर्ण होते ही 5 सेमेस्टर में ही इनकी ग्राफ़िक डिज़ाइनर के पद पर पुणे की नॉलेज पोडियम नामक एक मलटी नेशनल कंपनी में नियुक्ति हुई। करीब 6-7 महीने के बाद ही इनका रुझान बदला और उन्होंने नौकरी से इस्तीफा ले लिया। इसके बाद आलोक ने कड़ी मेहनत से हेमवती नंदन बहुगुणा वि.वि श्रीनगर से एम.ए. इन ड्राइंग एंड पेंटिंग का रिटन क्लियर किया। ये उनकी मेहनत का ही नतीजा रहा की वो आज प्रथम छात्र बने जिन्होंने इंग्लिश मीडियम से ये कोर्स किया। जिसके कुछ समय बाद उत्तराखण्ड के सबसे श्रेष्ठ केंद्रीय विद्यालय ओ.एन. जी.सी देहरादून में आलोक का चयन हुआ और वह आर्ट इंस्ट्रक्टर के पद में नियुक्त हुए। इसके बाद वहां 3 महीने कार्य करने के बाद जवाहर नवोदय विद्यालय रुद्रप्रयाग में टी.जी.टी. आर्ट्स के पद में जॉइनिंग मिली। ये वर्तमान में हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय से पीएचडी का अध्ययन कर रहे हैं।
आलोक का नई पीढ़ी को संदेश
आलोक का कहना है कि अभी भी लोग चित्रकला को सिर्फ पेंटिंग ही समझते है, वो सोचते है कि ये लोग सिर्फ पेंटिंग करते है। जो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। मैं चाहता हूँ की वो लोग पहले चित्रकला के बारे में पढ़ें और समझे की आखिकार चित्रकला है क्या। आलोक का कहना है कि कला आदमी को स्वावलंबी बनाती है और व्यक्ति के अन्दर हमेशा एक नव जीवन को जागृत रखती है। यह छात्रों को कलाकार बनने और कला के निर्माण से जुड़ी अन्य प्रथाओं का पालन करने के लिए सिखाता है और तैयार करता है। "कला का मुख्य उद्देश्य चीजों की बाहरी उपस्थिति का प्रतिनिधित्व नहीं करना है, बल्कि उनके आंतरिक महत्व का भी प्रतिनिधित्व करना है"। इसी के साथ आलोक ने एक महत्वपूर्ण कही कि, चित्रकला में साधारण मनुष्य पानी की बून्द की तरह है और चित्रकला का क्षेत्र भव्य सागर की।
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