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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर कैसे करें लड्डू गोपाल का अभिषेक, पढ़ें

उत्तर नारी डेस्क

हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पर्व का विशेष महत्व है। मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण, भगवान विष्णु के 8वें अवतार हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण का जन्म भादों के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस साल भी 19 अगस्त को भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। 

आइए जानते हैं कि लड्डू गोपाल का अभिषेक कैसे किया जायेगा। 


लड्डू गोपाल को पात्र में करें स्थापित

जन्माष्टमी पर सोने, पीतल, चांदी या तांबे,अष्टधातु के  लड्डू गोपाल को एक पात्र में स्थापित करें और इसके बाद दूध, दही, शहद, घी और जल से भगवान का अभिषेक करें। अभिषेक करते हुए आप ऊं कृष्णाय नम: या ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: का जाप करते रहें।


जन्म लेने के बाद करें अभिषेक

(भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात्रि 12 बजे हुआ था। इसलिये अभिषेक भी 12 बजे के बाद ही करना चाहिए)


(अभिषेक करने की विधि)

            🦜शुद्धि मंत्र:🦜

ओम अपवित्रः पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोअपि वा। यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः।। जल को स्वयं पर और पूजन सामग्री पर छींटे लगाकर पवित्र करें।


🍁हाथ में फूल लेकर श्रीकृष्ण का ध्यान करें :🍁

वसुदेव सुतं देव कंस चाणूर मर्दनम्। देवकी परमानंदं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्।। हे वसुदेव के पुत्र कंस और चाणूर का अंत करने वाले, देवकी को आनंदित करने वाले और जगत में पूजनीय आपको नमस्कार है।


🍁जन्माष्टमी पूजन संकल्प मंत्र :🍁

‘यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः कार्य सिद्धयर्थं कलशाधिष्ठित देवता सहित, श्रीजन्माष्टमी पूजनं महं करिष्ये।

हाथ में जल, अक्षत, फूल या केवल जल लेकर भी यह संकल्प मंत्र बोलें, क्योंकि बिना संकल्प किए पूजन का फल नहीं मिलता है।


🌹भगवान श्रीकृष्ण आवाहन मंत्रः🌹

जिन्होंने भगवान की मूर्ति बैठायी है उन्हें सबसे पहले हाथ में तिल जौ लेकर मूर्ति में भगवान का आवाहन करना चाहिए, आवाहन मंत्र- अनादिमाद्यं पुरुषोत्तमोत्तमं श्रीकृष्णचन्द्रं निजभक्तवत्सलम्। स्वयं त्वसंख्याण्डपतिं परात्परं राधापतिं त्वां शरणं व्रजाम्यहम्।। तिल जौ को भगवान की प्रतिमा पर छोड़ें।


            🌹आसन मंत्र :🌹

अर्घा में जल लेकर बोलें- रम्यं सुशोभनं दिव्यं सर्वासौख्यकरं शुभम्। आसनं च मया दत्तं गृहाण परमेश्वर।। जल छोड़ें।


        🌹भगवान को अर्घ्य दें🌹

अर्घा में जल लेकर बोलें- अर्घ्यं गृहाण देवेश गन्धपुष्पाक्षतैः सह। करुणां करु मे देव! गृहाणार्घ्यं नमोस्तु ते।। जल छोड़ें।


         🌹आचमन मंत्र🌹 :

अर्घा में जल और गंध मिलाकर बोलें- सर्वतीर्थसमायुक्तं सुगन्धं निर्मलं जलम्। आचम्यतां मया दत्तं गृहत्वा परमेश्वर।। जल छोड़ें।


        🌹कैसे कराएँ स्नान मंत्र :🌹

अर्घा में जल लेकर बोलें- गंगा, सरस्वती, रेवा, पयोष्णी, नर्मदाजलैः। स्नापितोअसि मया देव तथा शांति कुरुष्व मे।। जल छोड़ें।


      🌹कैसे कराएं -पंचामृत स्नान :🌹

अर्घा में गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद मिलाकर भगवान श्रीकृष्ण को यह मंत्र बोलते हुए पंचामृत स्नान कराएं- पंचामृतं मयाआनीतं पयोदधि घृतं मधु। शर्करा च समायुक्तं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्।। भगवान को स्नान कराएं।

अर्घा में जल लेकर भगवान को फिर से एक बार शुद्धि स्नान कराएं।


🌹भगवान श्रीकृष्ण को वस्त्र अर्पित करने का मंत्र :🌹

हाथ में पीले वस्त्र लेकर यह मंत्र बोलें- शीतवातोष्णसन्त्राणं लज्जाया रक्षणं परम्। देहालअंगकरणं वस्त्रमतः शान्तिं प्रयच्छ मे। भगवान को वस्त्र अर्पित करें।*


🌹यज्ञोपवीत अर्पित करने का मंत्र:🌹

यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्। आयुष्मयग्यं प्रतिमुन्ज शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः।। इस मंत्र को बोलकर भगवान को यज्ञोपवीत अर्पित करें।*


🌹चंदन लगाने का मंत्र:🌹

फूल में चंदन लगार मंत्र बोलें- श्रीखंड चंदनं दिव्यं गन्धाढ्यं सुमनोहरम्। विलेपनं सुरश्रेष्ठ चंदनं प्रतिगृह्यताम्।। भगवान श्रीकृष्ण को चंदन लगाएं।


भगवान को फूल चढाएंः

माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो। मयाआहृतानि पुष्पाणि पूजार्थं प्रतिगृह्यताम्।।*

भगवान को फूल अर्पित करने के बाद माला पहनाएं।


      🍃भगवान को दूर्वा चढाएंः🍃

हाथ में दूर्वा लेकर मंत्र बोलें – दूर्वांकुरान् सुहरितानमृतान्मंगलप्रदान्। आनीतांस्तव पूजार्थं गृहाण परमेश्वर।।


🌺भगवान को नैवेद्य भेंट करेंः🌺

इदं नाना विधि नैवेद्यानि ओम नमो भगवते वासुदेवं, देवकीसुतं समर्पयामि।


🍁भगवान को आचमन कराएंः🍁

इदं आचमनम् ओम नमो भगवते वासुदेवं, देवकीसुतं समर्पयामि।


इसके बाद भगवान को पान सुपारी अर्पित करके प्रदक्षिणा करें और यह मंत्र बोलें-

 यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च। तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिण पदे-पदे।

पंडित राजेंद्र प्रसाद बेबनी

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