उत्तर नारी डेस्क
गौरतलब है कि संस्कृत उत्तराखण्ड की दूसरी आधिकारिक भाषा है। वर्तमान में, कर्नाटक का केवल एक गाँव संस्कृत भाषी गाँव है और उत्तराखण्ड पहला राज्य है जिसने इतने बड़े पैमाने पर संस्कृत को बढ़ावा देने की पहल की है। वहीं, शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत ने कहा कि 'नई पीढ़ी को अपने पूर्वजों की भाषा बोलनी आनी चाहिए। नई पीढ़ी को अपनी जड़ों तक ले जाने के अलावा ये गांव देश और विदेश से आने वाले लोगों के लिए भारत की प्राचीन संस्कृति की झलक भी पेश करेगा।”
बता दें, पिछले महीने, हरिद्वार में एक कार्यक्रम में बोलते हुए, धनसिंह रावत ने कहा था कि राज्य में महाभारत, रामायण, वेद, वैदिक गणित और इसी तरह के प्राचीन विषयों पर शिक्षा प्रदान करने की योजना पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार राज्य में संस्कृत और अन्य स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। रावत ने उत्तराखण्ड में संस्कृत शिक्षकों और प्रोफेसरों के सामने आने वाले मुद्दों को हल करने और हिमालयी राज्य में संस्कृत शिक्षा नियम पुस्तिका को औपचारिक रूप देने के लिए पांच सदस्यीय समिति गठित करने का भी वादा किया था।
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