उत्तर नारी डेस्क

आजकल के युग में व्यक्ति छोटे से मोबाइल में बड़ी सी दुनिया देख लेता है और उसमें एक से बढ़कर एक हुनर को देखकर खुद के बच्चों को भी उसी ऊंचाई पर देखना चाहता है, बिना ये परखे कि हमारी धरातल पर वास्तविक स्थिति क्या है। कुछ ऐसा ही घटित हुआ हरिद्वार के व्यस्ततम इलाके ज्वालापुर के गणेश विहार में! जहां शाम को कोतवाली ज्वालापुर में बदहवास से आए कुछ लोगों द्वारा कॉलोनी के दो मासूम बच्चों कक्षा 7 में पढ़ने वाला लड़का एवं कक्षा 8 में पढ़ने वाली मासूम बच्ची के अचानक कहीं गुम हो जाने की सूचना पुलिस को दी। जिसपर तत्काल गुमशुदगी दर्ज करते हुए एसएचओ आर.के सकलानी द्वारा लगभग पूरे थाना स्टाफ को तलाश हेतु अलग-अलग दिशाओं में दौड़ाने के साथ-साथ उच्चाधिकारीगण को भी सूचित किया।
जल्द ही खबर जंगल में आग की तरह फैली और इस तरह बच्चों के अचानक कहीं जाने की कोई स्पष्ट वजह न होने के कारण तरह-तरह के कयास लगाते हुए मोहल्ले समेत क्षेत्र की जनता धीरे-धीरे आक्रोशित होने लगी। मामले की गंभीरता के चलते तेजतर्रार एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार, ज्वालापुर के अनगिनत पेचीदा मामलों को सुलझाने में सफल रहीं एएसपी रेखा यादव (आईपीएस) और टू द पॉइंट एप्रोच रखने वाली सीओ (ऑपरेशन) निहारिका सेमवाल द्वारा अलग-अलग दिशाओं में गई विभिन्न टीमों तथा सीसीटीवी कैमरों को वॉच कर रही टीम को स्वयं लीड करते हुए एक कैमरे में बच्चों द्वारा स्वयं ऑटो को हाथ देकर, रुकवाकर, ऑटो में कहीं जाते देखकर तत्काल उस दिशा के लगातार कई कैमरों को देखा गया एवं दूसरी टीम द्वारा इतने में ऑटो चालक को खोज कर, वार्ता कर, जानकारी जुटाई। तब बच्चों के ऋषिकेश की तरफ जाने की संभावना के चलते बिना देरी के तत्काल टीम ऋषिकेश पहुंची और उनको वापस हरिद्वार के लिए आते देखकर बस अड्डे हरिद्वार से सकुशल बरामद कर बेहद आत्मीयता व विश्वास में लेते हुए बच्चों से अचानक इस तरह जाने का कारण जानना चाहा तब उनके द्वारा सिर्फ ये बताने कि "अपनी मर्जी से घर से गए।"
इसपर शाम से ही पुलिस की अन्य टीमों के साथ बिना कुछ खाए-पिए अलग-अलग दिशाओं में लगातार खोज रहे एसपी सिटी, एएसपी ज्वालापुर व सीओ ऑपरेशन द्वारा पहले दोनों बच्चों को प्यार से समझाया, विश्वास में लिया थोड़ी देर में बच्चों से घुलमिल जाने पर बच्चों द्वारा इनको बताया कि "कुछ दिन पहले हुए पेपर में उनके कुछ पेपर अच्छे नहीं गए थे और जल्दी ही P.T.M होनी थी जिसमें घरवालों से डाॅट व पिटाई होना बिल्कुल तय था। हम डर गए थे इसलिए...और पुनः रोने लगे..." फिर अधिकारीगण द्वारा उनके परिजनों को अलग से समझाया गया।
पुलिस अधिकारीगण की कई घंटों की इस भावनात्मक मशक्कत के पश्चात जब दोनों को आमने-सामने किया तो दोनों ही बिलख पड़े! काफी देर तक दोनों रोते रहे तब पुलिस अधिकारीगण द्वारा दोनों ही पक्षों को उनके द्वारा जाने-अनजाने में हुई गलतियों पर एक-दूसरे को माफ करने, बदलते परिवेश में बच्चों पर अनावश्यक दबाव न देने, थोड़े-थोड़े समय में बदल रहे सामाजिक मूल्यों से सामन्जस्य बैठाने, सकारात्मक सोच रखने एवं दोनों पक्षों द्वारा भविष्य में कभी दोबारा ऐसा न होने का उचित आश्वासन मिलने पर खुशी मिश्रित नम आंखों से घरों को रवाना किया।
हरिद्वार पुलिस की कई घंटों की भागदौड व इस पूरे मामले को नज़दीक से देख रहे "बच्चों से बेहद प्यार करने वाले दादाजी", बच्चों के परिजन, सभी के द्वारा उक्त "चुस्त पुलिस अधिकारियों" एवं "हरिद्वार पुलिस" को बिना किसी अनहोनी के पूर्ण कुशलता से मिले अपने बच्चों को पाकर "बहुत-बहुत धन्यवाद" कहा गया।
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