उत्तर नारी डेस्क
बता दें, छावला हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद 8 नवंबर को उत्तराखण्ड की बेटी किरण नेगी को न्याय दिलाने को लेकर गढ़वाल भवन में समीक्षा बैठक की गई। बैठक के दौरान इस मामले में कुछ मुख्य बिंदुओं पर बात हुई।
– जो नाराजगी इस समय समाज और पूरे भारत में व्याप्त है, उसे नियमो और विनियमों को ध्यान में रखते हुए उचित उपयोग किया किया जाना चाहिए।
– अन्य समुदाय की भागीदारी भी हो।
– उपराज्यपाल /राज्य पुन विचार याचिका दायर करें।
– समीक्षा याचिका के पक्ष में हस्त्ताक्षर अभियान चलाया जाना चाहिए और सामािजक संगठन/ NGOs/RWAS से सहायता लेनी चाहिए।
– स्थानीय स्तर पर कैंडल मार्च /मौन व्रत का आयोजन किया जाए।
– दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन की अध्यक्षता में एक कोर्ट कमेटी का गठन।
– कोर्ट केस की प्रगति को देखने के लिए एक समीक्षा समिति का गठन।
– बड़ी संख्या में एक स्थान पर धरना।
– मामले को उठाने के लिए संजीवनी NGO को विशेष धन्यवाद किया गया।
गौर हो कि छावला हत्याकांड मामले में एडवोकेट रोहित डंडरियाल ने एक न्यूज़ एजेंसी से बातचीत की। जिसमें उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर वकीलों की एक टीम निचली अदालत और हाई कोर्ट की फाइल का अध्ययन कर रही है। जिससे ये पता चल सकेगा की वो कौन से चूक थे जो सुप्रीम कोर्ट में नहीं रखे गए हैं। साथ ही कहा कि हमारे देश का कानून इतना लचीला है कि थोड़ी सी चूक का फायदा अपराधी आसानी से उठा लेता है। उन्होंने बताया कि पीड़िता के पिता की ओर से रिव्यू पिटीशन दाखिल की जाएगी।
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