उत्तर नारी डेस्क
द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट विधिविधान के साथ आज सुबह 8.30 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए है। प्रात: चार बजे मंदिर खुलने के बाद श्रद्धालुओं ने भगवान मद्महेश्वर के निर्वाण दर्शन किये। इसके बाद पुजारी शिवशंकर लिंग ने भगवान मद्महेश्वर को समाधि पूजा शुरू की तथा भगवान को भस्म, भृंगराज फूल, बाघांबर से ढक दिया। कपाट बंद होने के बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह डोली को मंदिर परिसर में लाया गया। इस दौरान भगवान मद्महेश्वर ने अपने भंडार, बर्तनों का निरीक्षण भी किया।
वहीं, अब बाबा मद्महेश्वर की चल उत्सव विग्रह डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर के लिए प्रस्थान करते हुए पहले पड़ाव गौंडार पहुंचेगी। जिसके बाद 21 नवंबर को डोली छह माह की शीतकालीन पूजा अर्चना के लिए ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हो जाएगी। इस वर्ष यात्राकाल में मद्महेश्वर भगवान के दर्शनों के लिए आठ हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं। द्वितीय केदार की चल उत्सव विग्रह डोली मद्महेश्वर से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान करेगी और रात्रि प्रवास के लिए पहले पड़ाव गौंडार पहुंचेगी।
19 को रांसी में प्रवास होगा और 21 नवंबर को डोली ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में छह माह के लिए विराजमान हो जाएगी। मद्महेश्वर की डोली के आगमन को लेकर श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने ओंकारेश्वर मंदिर को भव्य रूप से सजाया है।
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