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जोशीमठ का डेटा जारी करने पर लगी रोक, NDMA ने सरकारी संस्थानों को दी ये सलाह

उत्तर नारी डेस्क


चमोली के जोशीमठ में भूधंसाव को लेकर सोशल मीडिया में निरंतर चौंकाने वाली तस्वीरें और वीडियो लगातार सामने आ रही है। जिससे न सिर्फ प्रभावित रहवासियों, बल्कि देशभर के नागरिकों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। जिसको देखते हुए अब NDMA की ओर से कहा गया है कि संगठनों की डेटा की "अपनी व्याख्या" भ्रम पैदा कर रही है। इसके बाद राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण यानी NDMA ने भू-धंसाव के कारणों की जांच करने गईं केंद्रीय एजेंसियों को परामर्श जारी किया है। इसमें सरकार की संस्थाओं से कहा गया है कि जोशीमठ मामले में अंतिम रिपोर्ट आने तक मीडिया से और सोशल मीडिया पर ऐसी जानकारी साझा करने से बचें, जो उनकी अपनी व्याख्या पर आधारित हो। 

आपको बता दें, जोशीमठ में भूधंसाव को लेकर बीते 12 जनवरी को नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक समीक्षा बैठक की थी। जिस के बाद शुक्रवार को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के संयुक्त सलाहकार बिस्वारुप दास की ओर से ऑफिस मेमोरेंडम जारी किया गया। इसमें कहा गया है कि जोशीमठ भू-धंसाव के संबंध में सरकार की विभिन्न संस्थाएं सोशल मीडिया पर अपने स्तर पर आंकड़े जारी कर रही हैं। वे जोशीमठ के हालात की अपने हिसाब से व्याख्या कर उसे मीडिया से साझा कर रही हैं। परामर्श के मुताबिक, इस तरह की जानकारी साझा करने से न सिर्फ प्रभावित रहवासियों, बल्कि देशभर के नागरिकों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। पत्र में उल्लेख है कि 12 जनवरी को ही प्राधिकरण के सदस्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी। जोशीमठ के भू-धंसाव का आकलन करने के लिए एक विशेषज्ञ समूह गठित किया जा चुका है। लिहाजा, सभी संस्थानों से अनुरोध है कि वे विशेषज्ञ समूह की अंतिम रिपोर्ट आ जाने तक मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने स्तर पर जानकारी साझा करने से बचें। 

बताते चलें कि जोशीमठ की इमारतों में पिछले साल दिसंबर में गहरी दरारें पड़ गई थीं, जिससे दहशत फैल गई और बचाव अभियान शुरू किया गया। सैटेलाइट सर्वे के बाद करीब 4000 परिवारों को सुरक्षित स्‍थानों पर पहुंचाया गया है।  

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