उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड को वीरों की भूमि यूं ही नहीं कहा जाता। यहां के लोकगीतों में शूरवीरों की जिस वीर गाथाओं का जिक्र मिलता है, पराक्रम के वह किस्से देश-विदेश तक फैले हैं। देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए देवभूमि के वीर सपूत हमेशा ही आगे रहे हैं। यही कारण है कि देवभूमि के कई युवा भारतीय सेना में शामिल होकर अपनी सेवाएं दे रहे है और साथ ही पीढ़ियों से चली आ रही देश सेवा की प्रथा को आगे बढ़ा रहे हैं। आज हम आपको उत्तराखण्ड के ऐसे ही एक लाल से मिलवाने जा रहे हैं जिन्होंने असम में बड़ी वारदात को अंजाम देने की तैयारियों में जुटे छह विद्रोहियों को मार गिराने वाले जांबाज मेजर अजय धानिक को सेना मेडल से नवाजा गया है। उन्हें यह सम्मान मिलने से सीमांत जिले के लोग गदगद हैं।
बता दें, मूल रूप से पिथौरागढ़ जिले के भुरमुनी गांव के रहने वाले और वर्तमान में देहरादून निवासी मेजर अजय धनिक पुत्र कैप्टन भीम सिंह धनिक (सेवानिवृत) को शनिवार को पश्चिमी कमांड अमृतसर में सेना मेडल से सम्मानित किया गया है। उन्हें यह सम्मान ले. जनरल एनके खंडूडी ने प्रदान किया। वहीं गौरतलब है कि 23 मई 2021 को असोम में एक ऑपरेशन के दौरान द कोर ऑफ इंजीनियर, पांच असम राइफल्स के मेजर अजय को उनके स्काउट ने नदी पार कर रहे आठ विद्रोहियों के संदिग्ध गतिविधि के बारे में सतर्क किया। इस पर उन्होंने तत्काल अपनी टीम तैयार की। इसके बाद एक विद्रोही उन लोगों के करीब पहुंच गया। राइफलमैन नंदकेश्वर ने पहचान के लिए पासवर्ड पूछा तो विद्रोहियों ने अंधाधुंध गोलाबारी शुरू कर दी। मेजर अजय धानिक ने तत्काल उसे मार गिराया। तभी दूसरे विद्रोही ने राइफलमैन नंदकेश्वर की तरफ गोलाबारी करते हुए धावा बोला। ऐसे में राइफलमैन पर गंभीर खतरा भांपते हुए मेजर अजय ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए दूसरे विद्रोही को भी मार गिराया। जिसके बाद उन्होंने अपनी टीम को दिशा निर्देश देते हुए अन्य विद्रोहियों के भागने के रास्तों को बंद कर दिया। इससे चार खूंखार विद्रोही भी मारे गए। मेजर अजय को असाधारण सामरिक कौशल, निस्वार्थ प्रेरणादायक नेतृत्व और साहस के लिए सेना मेडल से सम्मानित किया गया है।