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हरिद्वार : श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में अखिल भारतीय संस्कृत शोध सम्मेलन का हुआ आयोजन

उत्तर नारी डेस्क 

बीते दिन 26 मार्च को श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में अखिल भारतीय संस्कृत शोध सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन का विषय संस्कृतसाहित्ये वसुधैव कुटुम्बकमिति विमर्श: था। जिसमें अतिथियों ने सम्पूर्ण वसुधा को एक परिवार के रूप में परिभाषित किया। कार्यक्रम का उद्घाटन उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति दिनेश चन्द्र शास्त्री ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उन्होंने कहा कि वेद में यत्र विश्वं भवत्येकनीडम् कहा है। जिसका अर्थ है कि यह समस्त संसार एक घोंसले के रूप में है। वेद सर्वे भवन्तु सुखिन: की कामना कर समस्त वसुधा को परिवार बनाता है। 

उद्घाटन कार्यक्रम के मुख्यातिथि के रूप में उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर वाचस्पति मिश्र ने कहा कि संस्कृत के विकास के बिना वसुधैव कुटुम्बकम् की कल्पना व्यर्थ है। उन्होंने अनेक संस्कृत व अंग्रेजी के शब्दों का सम्बन्ध दिखाकर यह स्पष्ट किया कि संस्कृत भाषा का मूल ही यह स्पष्ट करता है कि यह वसुन्धरा एक परिवार है। विशिष्टातिथि के रूप में देवप्रयागस्थ केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के निदेशक प्रोफेसर पी. वी. सुब्रह्मण्यम् ने कहा कि संस्कृत के शास्त्रों का इदन्न मम वचन ही समस्त संसार के कल्याण की भावना व्यक्त कर समस्त विश्व को परिवार के एक सूत्र में इकट्ठा करता है। 

सारस्वतातिथि जिला संघ संचालक रोहिताश्व कुॅवर ने कहा कि भारतीय संस्कृति का मूल आधार ही वसुधैव कुटुम्बकम् है। हमारे प्राचीन शास्त्रों में  सर्वत्र समस्त धरा को परिवार माना है। उत्तराखण्ड संस्कृत शिक्षा निदेशालय के निदेशक श्री एस. पी. खाली जी उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि संस्कृत ज्ञान विज्ञान से सम्पन्न है। मेरा प्रयास है कि संस्कृत का उत्तराखण्ड में सतत विकास हो। उत्तराखण्ड संस्कृत शिक्षा परिषद् के सचिव डा. वाजश्रवा आर्य ने कहा कि सम्मेलन में उपस्थित विद्वानों के व्याख्यानों का संयोजन कर परिषद् की बैठक में रखा जायेगा। जिससे पाठ्यक्रम में इसे शामिल किया जा सके। सम्मेलन में सान्निध्य के रूप में भगवान दास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के साहित्य विभाग के सहाचार्य श्रीनिरञ्जन मिश्र भी उपस्थित रहें। शोध सम्मेलन दो सत्रों में सम्पन्न हुआ।जिसमें लगभग 60 शोधपत्रों  का वाचन हुआ।

प्रथम सत्र की अध्यक्षता केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, देवप्रयाग परिसर के आचार्य प्रोफेसर विजयपालप्रचेता ने की। विशिष्टातिथि के रूप में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के ही शैक्षणिकवृत्त के निदेशक प्रोफेसर वनमाली विश्वाल व मुख्य वक्ता के रूप में डा. शैलेश कुमार तिवारी उपस्थित रहें। द्वितीय सत्र की अध्यक्षता श्रीभगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य भोला झा ने की। जिसमें डा. हरिगोपाल शास्त्री व डा. कुलदीप गौड़ मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहें। कार्यक्रम के उद्घाटन में महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डाॅ.व्रजेन्द्र कुमार के द्वारा स्वागतोद्बोधन प्रदान कर समागत सभी अतिथि महानुभावों का स्वागत किया गया। समापन सत्र में संस्कृत भारती के प्रान्त संघटन मन्त्री गौरव ने कहा कि भविष्य संस्कृत का है। संस्कृत के प्रचार प्रसार से ही वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना का विस्तार होगा।

सम्पूर्ति सत्र में शान्तिपाठ के साथ उक्त सम्मेलन का समापन हुआ। कार्यक्रम का सञ्चालन सहायकाचार्य डाॅ रवीन्द्र कुमार के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में डा. पद्मप्रसाद सुवेदी, डाॅ. अनिल त्रिपाठी, डाॅ. रामरतन खंडेलवाल, डाॅ. मनोज किशोर पन्त, डाॅ. सुमन झा, डाॅ कंचन तिवारी, डाॅ. वाणी भूषण भट्ट, डाॅ मञ्जू पटेल, डा. आशिमा श्रवण, डाॅ.दीपक कुमार कोठारी, डाॅ.आलोक सेमवाल, विवेक शुक्ला, डाॅ. हरीश गुरुरानी, डाॅ. नवीन पन्त, डाॅ. जनार्दन कैरवान, डाॅ. कुलदीप पन्त आदि उपस्थित रहे।

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