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उत्तराखण्ड का भूतनाथ मंदिर जहां भगवान शिव की बारात में आए भूतों ने बिताई थी रात, पढ़ें

तान्या रावत 

देवभूमि उत्तराखण्ड दुनियाभर में अपनी अलग पहचान बना चुका है और यहां की सुंदरता और मनमोहक कथाएं लोगों को यहां के तीर्थस्थानों की ओर खींच लाता है और इन्हीं तीर्थस्थानों से जुड़ी देवताओं से संबंधित अनेक कथाएं दुनियाभर में प्रचलित हैं। ऐसे ही एक मंदिर के बारे में हम आपको बतायंगे। जो ऋषिकेश के स्वर्गाश्रम क्षेत्र में जंगलों के बीच स्थित है भूतनाथ मंदिर……..

आप सभी ने देवों के देव महादेव के विवाह का प्रसंग जरूर सुना होगा। भगवान महादेव के विवाह से जुड़ी तमाम किवदंतियां और धार्मिक कथाओं का वर्णन हमें सुनने को मिलता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, देवभूमि उत्तराखण्ड को भगवान महादेव की भूमि और कैलाश पर इनका निवास स्थान माना जाता है। यहीं इनका ससुराल भी माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में वर्णित भगवान महादेव के विवाह से जुड़ी एक कथा के अनुसार, महादेव सती से विवाह करने के लिए बारात लेकर चले तब सती के पिता राजा दक्ष ने भगवान महादेव और उनकी बारात में शामिल सभी देवताओं और भूत-प्रेतों को ऋषिकेश में ठहराया था। जहां अब भोलेनाथ का अप्रत‍िम भूतनाथ मंदिर है। इस मंदिर को गुप्त मंदिर भी कहते हैं, ग्रंथों के अनुसार महादेव की बारात में शामिल देव, गण और भूत आदि बारातियों ने यहीं रात बिताई थी।

कैसी है मंदिर की संरचना?

महादेव का अप्रत‍िम भूतनाथ मंद‍िर का निर्माण सन 1952 में स्वामी कैलाशानंद मिशन ट्रस्ट ने कराया। यह स्वर्गाश्रम क्षेत्र में पड़ता है और यह मंदिर भगवान महादेव को समर्पित है। यह मंदिर तीन तरफ से राजाजी नेशनल पार्क से घिरा हुआ है। भूतनाथ मंदिर सात मंजिली इमारत है और इसकी पहली मंजिल पर आपको भगवान शंकर से जुड़ी कथाओं का वर्णन, चित्रों के माध्यम से मिलेगा। इसके साथ ही हनुमान और नंदी तथा समस्त देवी-देवताओं के चित्र आपको इस मंदिर की हर एक मंजिल पर देखने को मिलेंगे। वहीं सबसे अंतिम, यानी सातवीं मंजिल पर जब आप पहुंचेंगे, तो वहां आपको छोटा सा शिव मंदिर देखने को मिलेगा, जिसके प्रांगण में भगवान शिव और उनके भूतों की बारात का वर्णन चित्रों के माध्यम से किया गया है। इस मंदिर की सातवें मंजिल से ऋषिकेश का नजारा आप अगर देखेंगे तो बेहद ही रमणीय और मनमोहक नज़र आयेगा।

रोचक बातें 

भूतनाथ मंद‍िर स्थित भगवान शिवलिंग के चारों तरफ दस घंटियां लगी हुई हैं। इन दसों घंट‍ियों में से अलग-अलग ध्वनियां निकलती हैं। अगर इन घंट‍ियों को एक साथ बजाया जाए तो भी इनसे अलग-अलग ध्‍वन‍ियां ही न‍िकलती हैं।

भूतनाथ मंदिर की मिट्टी बहुत गुणों वाली मानी जाती है। यहां पहुंचने वाला भक्त यहां से मिट्टी ले जाना नहीं भूलता। मान्यता है कि यहां आने से भूत-प्रेत बाधाएं दूर हो जाती हैं। यहां आकर महादेव का दर्शन करने वाले भक्तों को असाध्य रोग से भी छुटकारा मिल जाता है। लेकिन यहां महादेव के दर्शन सच्चे भक्तों को ही प्राप्त होते हैं। 

कैसे पहुंचें भूतनाथ मंदिर?

भूतनाथ मंदिर ऋषिकेश में स्थित है और यहां पहुंचने के लिए आपको पहले हरिद्वार आना होगा। हरिद्वार से इसकी दूरी मात्र 25 किलोमीटर है। हरिद्वार आने के लिए आपको ट्रेन, बस किसी भी शहर से मिल जायेगी। हरिद्वार से आपको हर की पौड़ी से टैक्सी या बस मिल जाएगी जो आपको ऋषिकेश पहुंचाएगी।

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