Uttarnari header

uttarnari

उत्तराखण्ड : CDS विपिन रावत के नाम पर होगा लैंसडाउन का नाम, CM धामी की सहमति

उत्तर नारी डेस्क

उत्तराखण्ड से एक बड़ी ख़बर सामने आ रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देश के पहले सीडीएस शहीद जनरल बिपिन रावत के नाम पर लैंसडाउन का नाम रखने की सहमति जताई है। बता दें, मुख्यमंत्री धामी ने शुक्रवार को अपने मंत्रिमण्डल सहयोगी सतपाल महाराज के विधानसभा क्षेत्र चौबट्टाखाल में 129 करोड़, 11 लाख, 74 हजार रुपए की कुल 22 विभिन्न योजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया। जिसमें 9159.04 लाख रुपये से 11 योजनाओं का शिलान्यास तथा 3752.70 लाख रुपये से निर्मित 11 कार्यों का लोकार्पण शामिल है। इस अवसर पर उन्होंने राजकीय डिग्री कॉलेज चौबट्टाखाल के प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जनरल बिपिन रावत गढ़वाल ही नहीं अपितु देश का गौरव थे। उनके नाम पर लैंसडाउन का नाम रखने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा।

बता दें, मंत्री सतपाल ने मुख्यमंत्री से सैन्य बहुत क्षेत्र होने के कारण, लैंसडाउन का नाम पूर्व सीडीएस शहीद बिपिन रावत के नाम पर रखने का आग्रह किया। जिस पर उन्होंने लैंसडाउन का नाम शहीद बिपिन सिंह रावत के नाम पर रखने की सहमति प्रदान की।

कौन थे सीडीएस बिपिन रावत?

जनरल बिपिन रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल जिले में एक क्षत्र‍िय परिवार में हुआ। जनरल बिपिन रावत का पैतृक गांव सैंणा, पौड़ी गढ़वाल के द्वारीखाल ब्लॉक में पड़ता है। उनका परिवार चौहान राजपूत परिवार और उनकी मां परमार क्षत्र‍िय वंश से थीं। पिता एलएस रावत सेना से लेफ्टिनेंट जनरल के पद से रिटायर थे। CDS रावत की प्रारंभिक पढ़ाई देहरादून में हुई थी जिसके बाद वह शिमला चले गए थे। सीडीएस रावत ने खड़गवासला स्थित एनडीए ज्वाइन कर लिया था। भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) से पासआउट होने के बाद सीडीएम रावत 16 दिसंबर 1978 को गोरखा रेजिमेंट में कमीशन प्राप्त कर ऑफिसर बने थे। आईएमए देहरादून में ‘स्वॉर्ड आफ आनर’ से सम्मानित किए जा चुके हैं।

साल 2011 में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से सैन्य मिडिया अध्ययन में पीएचडी की और 01 सितंबर 2016 को रावत ने सेना के उप-प्रमुख के पद की जिम्‍मेदारी संभाली थी। अपने चार दशकों की सेवा के दौरान जनरल रावत ने एक ब्रिगेड कमांडर, जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-सी) दक्षिणी कमान, सैन्य संचालन निदेशालय में जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड 2, कर्नल सैन्य सचिव और उप सैन्य सचिव के रूप में कार्य किया है। वह संयुक्त राष्ट्र शांति सेना का भी हिस्सा रहे हैं और उन्होंने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एक बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की कमान संभाली थी। गोरखा ब्रिगेड से सीओएएस बनने वाले चौथे अधिकारी बनने से पहले बिपिन रावत थल सेनाध्यक्ष बने थे।

पिता से मिली थी सेना में जाने की प्रेरणा 

बता दें कि जनरल रावत के पिता भी सेना में लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर थे और 1988 में उप सेना प्रमुख के पद से रिटायर हुए थे। उनका नाम लक्ष्‍मण सिंह रावत था। बिपिन रावत को सेना में जाने की प्रेरणा उनके पिता से ही मिली थी। 

यह भी पढ़ें - CM धामी ने की पौड़ी गढ़वाल पुलिस द्वारा जन जागरूकता सम्बन्धी किये जा रहे कार्यों की सराहना


Comments