उत्तर नारी डेस्क
मंदिर के पुजारी सूरजमणि घिल्डियाल के अनुसार, घिल्डियाल गांव में स्थित "गुरु गोरखनाथ" का यह मंदिर सदियों पुराना है। जिस कारण इसकी काफी मान्यता है। जो भी श्रद्धालु इस मंदिर में आता है वह कभी खाली हाथ नहीं लौटा। इस धाम में आने वाले हर भक्त की मुराद पूरी होती है। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि पहले यहां पौराणिक पुश्तों से गुरु गोरखनाथ जी को पशु बलि दी जाने की प्रथा चली आ रही थी, लेकिन अब कई सालों से पशु बलि में प्रतिबंध लगा दिया गया है। और अब पशु बलि पर प्रतिबंध लगाने के बाद से यहां भंडारे और श्रीफल का आयोजन किया जाता है।
वहीं इस संबंध में स्थानीय ग्रामीण द्वारा बताया गया कि गुरु गोखनाथ का मेला हर वर्ष आयोजित किया जाता है। उन्होंने बताया कि ज्येष्ठ 10 गते की शाम को वहां मंडाण लगता है। इस दौरान काफी देवी देवताओं के नाम से रोट बनाया जाता है, लेकिन मुख्य तौर पर गांव के गुरु गोरखनाथ के नाम से रोट बनाया जाता है। साथ ही बताया कि 11 गते को गुरु गोरखनाथ की रोट भेंट की पूजा होती है और 12 गते को कोथिग का आयोजन किया जाता है। वहीं, 25 मई कों सेंधी गॉव कि तरफ से भंडारा आयोजित हुआ और 26 मई कों गजवाड़ गॉव ने भंडारा आयोजित किया। इसके साथ ही गुरु गोरखनाथ के मेले के अवसर पर दूर दराज रहने वाली गांव की बहु-बेटियां और बुआओं को भी विशेष निमंत्रण कर बुलाया गया।
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