उत्तर नारी डेस्क
इसके साथ ही ASI इस झुकाव की वजह का पता लगाने में जुट गया है और अगर रिपेयरिंग की ज़रूरत होगी तो तुरंत काम शुरू किया जाएगा। ASI के देहरादून सर्कल के सुपरिटेंडिंग आर्कियोलॉजिस्ट, मनोज सक्सेना ने बताया, 'पहले हम इस क्षति की वजह का पता लगाएंगे और तुरंत रिपयेर का काम शुरू करेंगे। इसके अलावा मंदिर के इंस्पेक्शन के बाद डिटेल्ट वर्क प्रोग्राम बनाया जाएगा।'
इस संबंध में मंदिर के मठाधिपति राम प्रसाद मैठाणी का कहना है कि वर्ष 1991 में आए भूकंप और समय-समय पर प्राकृतिक आपदाओं से मंदिर पर व्यापक असर पड़ा है। वर्ष 2017-18 में एएसआई ने मंदिर का सर्वेक्षण करने के लिए ग्लास स्केल भी लगाईं थी। अब विभाग ने एक रिपोर्ट जारी कर मंदिर में झुकाव आने की बात कही है। वर्ष 1991 के उत्तरकाशी भूकंप और 1999 के चमोली भूकंप के साथ ही 2012 की ऊखीमठ व 2013 की केदारनाथ आपदा का भी इस मंदिर पर असर पड़ा है। मंदिर की बाहर की दीवारों से कई जगहों पर पत्थर छिटके हुए हैं। सभामंडप की स्थिति काफी खराब हो गई है। साथ ही गर्भगृह का एक हिस्सा झुक गया है। तुंगनाथ मंदिर के संरक्षण व संवर्धन के लिए मंदिर समिति सक्षम है। मंदिर के पुनरोद्धार को लेकर जो भी कार्य होंगे, वह एएसआई व सीबीआरआई और अन्य संस्थाओं के विशेषज्ञों की सलाह पर किए जाएंगे। लंबे समय से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की कवायद चल रही है।
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