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उत्तराखण्ड : UPCL और जल संस्थान के दो अधिकारी निलंबित, STP का रखरखाव करने वाली कंपनी पर FIR

उत्तर नारी डेस्क 

चमोली में नमामि गंगे परियोजना के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में करंट लगने से 16 लोगों के मौत की घटना के बाद उत्तराखण्ड सरकार ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का संचालन कर रही सुपरवाइजर ज्वाइंट वेंचर कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। इसके अलावा उत्तराखण्ड जल संस्थान द्वारा एस०टी०पी० का संचालन एवं रख-रखाव करने वाली फर्म के कार्यों के समुचित अनुश्रवण का दायित्व देख रहे अपर सहायक अभियन्ता हरदेव लाल को निलम्बित कर दिया है। साथ ही इस प्रकरण में महाप्रबंधक उत्तराखण्ड पावर कॉर्पोरेशन लि. द्वारा कुंदन सिंह रावत, प्रभारी अवर अभियंता विद्युत वितरणखण्ड गोपेश्वर को भी प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर दोनों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। 

मुख्यमंत्री धामी के निर्देश पर राजस्व उपनिरीक्षक तहसील चमोली द्वारा सुपरवाइजर ज्वाइन्ट वेन्चर कम्पनी एवं अन्य संबंधित के विरूद्ध नमामि गंगे के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर विद्युत उपकरणों के संचालन में घोर लापरवाही बरते जाने के संबंध में एफआईआर भी दर्ज कर दी गई है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिला अस्पताल गोपेश्वर में भर्ती चमोली हादसे के बाकी सभी 5 घायलों को भी आज एयरलिफ्ट कर ऋषिकेश एम्स में भर्ती किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एम्स ऋषिकेश में घायलों को मानसिक दबाव से मुक्त करने और उच्च स्तरीय स्वास्थ्य जांच के लिए भेजा गया है। 

बता दें, मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने चमोली की घटना के मद्देनजर सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों एवं सचिवों को समस्त परियोजनाओं, आस्थानों एवं शासकीय कार्यालयों में विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था के मानकों का अविलम्ब परीक्षण कराए जाने के निर्देश दिए हैं। सीएस ने निर्देश देते हुए कहा कि विभागाध्यक्ष अपने नियंत्रणाधीन समस्त परियोजनाओं, आस्थाओं एवं शासकीय कार्यालय परिसरों आदि में विद्युत सुरक्षा सम्बन्धी किए गए उपायों का परीक्षण कराए। साथ ही प्रभारी अधिकारी से सुरक्षा उपाय सुनिश्चित किए जाने का प्रमाण पत्र भी प्राप्त किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि सुरक्षा मानकों के परीक्षण की कार्रवाई विभाग के मानकों के अनुसार अथवा प्रत्येक 3 माह में किया जाना सुनिश्चित किया जाए।

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