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वर्ष भर में सिर्फ एक बार ही हिन्दी दिवस क्यों मनाया जाए?- डॉ. शोभा रावत

उत्तर नारी डेस्क 


हिंदी दिवस के अवसर पर जनमानस के मन में सबसे पहला प्रश्न यही आता है कि वर्ष भर में सिर्फ एक बार ही हिंदी दिवस क्यों मनाया जाए। एक दिन हिंदी दिवस मना कर क्या होगा? लेकिन मैं उनसे पूछती हूं कि वह भी वर्ष में एक बार ही अपना जन्मदिन मनाते हैं। उस जन्मदिन को मना कर क्या होता है? क्यों  लोग वर्ष भर अपने जन्मदिन की प्रतीक्षा करते है? और क्यों अपने जन्मदिन को मना कर बहुत उत्साहित होते हैं?बहुत रोमांचित होते हैं। जन्मदिन मनाने के बाद वर्ष भर उसको याद करके बहुत खुश होते हैं। बस ऐसे ही हिंदी दिवस भी वर्ष में एक बार मनाया जाता है।

इस दिवस की सार्थकता तभी है जब श्रोता दर्शक या आयोजक उस पर विचार करें, मनन करें कि वाकई हिंदी भाषा हमारे लिए क्या महत्व रखती है? यही विचार किया जाता है कि हिंदी की दशा कैसी है? हिंदी की दिशा कैसी है? वर्तमान में स्थिति कैसी है? लेकिन मैं आज यह विचार करती हूं कि हिंदी भाषा अथवा हिंदी विषय में रोजगार के कितने अवसर हैं? क्या हिंदी मात्र कविता और कथा तक ही सीमित है या इसके इतर भी  हिंदी में रोजगार के अवसर हैं?

जी हां रोजगार के जितने अवसर होंगे युवा उसी ओर जाएंगे क्योंकि वर्तमान में रोजगारपरक शिक्षा पर ही बल दिया जा रहा है जिसमें हिंदी भाषा एवम विषय खरा उतरता है। हम हिंदी भाषा की चर्चा करें तो उच्च शिक्षा के स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर में हिंदी भाषा में  ऐसे प्रश्न पत्र हैं जो कि सिर्फ और सिर्फ रोजगार से संबंधित हैं।

हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय  के संदर्भ में बात करें तो उसमें स्नातक स्तर में प्रयोजनमूलक हिंदी स्नातकोत्तर स्तर में अनुवाद, प्रयोजनमूलक हिंदी, पत्रकारिता इत्यादि हैं। श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के संदर्भ में बात करें तो स्नातक स्तर पर प्रयोजनमूलक हिंदी और स्नातकोत्तर स्तर पर प्रयोजनमूलक हिंदी जिसके अंतर्गत की पत्रकारिता, मीडिया इत्यादि हैं।

यदि हम नई शिक्षा नीति की चर्चा करें तो उसमें हिंदी भाषा के साथ साथ स्थानीय भाषाओं को भी महत्व दिया गया है। कौशल विकास के अंतर्गत बी.ए.  द्वितीय सेम में प्रयोजनमूलक हिंदी बी.ए. चतुर्थ सेम में पत्रकारिता बी.ए. पंचम  सेम में वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली पाठ्यक्रम के अंतर्गत सम्मिलित की गई हैं। यह समस्त पाठ्यक्रम  छात्र-छात्राओं को रोजगार परक शिक्षा देता है।

प्रयोजनमूलक  अर्थात  उद्देश्य जिस भाषा का प्रयोग किसी विशेष प्रयोजन या उद्देश्य की सिद्धि के लिए किया जाए उसे प्रयोजनमूलक भाषा कहते हैं। हिंदी भाषा में दूसरा शब्द फंक्शनल लैंग्वेज के पर्याय के रूप में प्रयुक्त किया जाता है, जिसका अर्थ है जीवन की विविध विशिष्ट आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उपयोग में लाई जाने वाली भाषा।

आज प्रयोजनमूलक हिंदी का तात्पर्य हिंदी के उस रूप से है जो कार्यालय, प्रयोगशालाओं में प्रशासन में, व्यवसाय में प्रयोग की जाती है। कार्यालय हिंदी के अंतर्गत कोई भी विद्यार्थी पत्र लेखन, संक्षेपण, टिप्पणन, पल्लवन एवम औपचारिक पत्र, अनौपचारिक पत्र लेखन, पारिभाषिक शब्दावली, वैज्ञानिक शब्दावली  एवं हिंदी कंप्यूटर की जानकारी रख सकता है। पत्रकारिता के अंतर्गत समाचार लेखन, संपादक,  प्रूफरीडर, रिपोर्टर, संवाददाता इत्यादि में भी रोजगार के अवसर हैं।

मीडिया लेखन के अंतर्गत सूचना एवं प्रौद्योगिकी में  रेडियो में अनेक अवसर हैं रेडियो में प्रसारित कार्यक्रम रेडियो लेखन, रेडियो बुलेटिन, समाचार लेखन, रेडियो नाटक लेखन, उद्घोषणा लेखन, विज्ञापन लेखन, फीचर लेखन, रिपोर्ताज इत्यादि में भी अधिक अवसर हैं।

दृश्य श्रव्य माध्यम अर्थात टेलीविजन की बात करें तो टेलीविजन में समाचार लेखन उद्घोषक, संचालक, टेलिड्रामा, पटकथा लेखन ,डॉक्यूमेंट्री, संवाद लेखन एवम साहित्य की विधाओं का दृश्य के माध्यम से रूपांतरण ,अनुवाद, विज्ञापन इत्यादि में अनेक अवसर प्राप्त हो सकते हैं।

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