उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जिला निवासी वयोवृद्ध सुधा मनराल को कनाडा में आयोजित राष्ट्रीय सीनियर्स डे 2023 में सम्मानित किया गया। उन्हें यह सम्मान समाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने हेतु दिया गया है। इस कार्यक्रम का आयोजन बी.सी.सी.डी.ए. की ओर से वैंकूवर में किया गया था। भारत से ये सम्मान प्राप्त करने वाली 82 वर्षीय सुधा मनराल एकमात्र नागरिक थीं।
बता दें, बीसी कलचरल डायवर्सिटी एसोसिएशन की ओर से इस कार्यक्रम का आयोजन पिंक पर्ल चाइनीज सी-फूड रेस्टोरेंट, कनाडा में किया गया था। इस कार्यक्रम में अलग-अलग देशों से आए बुजुर्ग नागरिकों को उनके उत्कृष्ट कार्य हेतु सम्मानित किया गया था। वहीं, भारत से सुधा मनराल को समाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने हेतु "सर्टिफिकेट ऑफ एप्रिसिएशन" प्रदान किया गया। आयोजकों ने उनके उल्लेखनीय कार्यों को बताते हुए सभी लोगों के बीच उनका संक्षिप्त परिचय भी दिया।
जानिए कौन है सुधा मनराल
सुधा मनराल अल्मोड़ा जिले के नरसिंहबाड़ी गांव की निवासी है। सुधा मनराल और उनके पति प्रख्यात साहित्यकार स्व. बलवंत मनराल शुरू से ही शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र से जुड़े रहे हैं। दम्पति दिल्ली में शिक्षा विभाग में कार्यरत थे। 21 फरवरी 1941 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन गोंडा जिले के बहराईच में जन्मी सुधा मनराल ने अपनी सेवा 12 जनवरी 1975 को सीनियर सेकेंडरी स्कूल बिजवासन दिल्ली से शुरू की थी। इसके बाद उन्होंने लगभग 21 वर्षों तक दिल्ली के कई स्कूलों में पढ़ाया। सेवाकाल के दौरान ही उन्होंने अपने मधुर व्यवहार और बच्चों के प्रति समर्पण भाव से काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पहचान बनाई।
दरअसल, 25 अक्टूबर 1987 में उनके पति को स्ट्रोक पड़ा, जिसके कारण वो चलने-फिरने में पूरी तरह से असमर्थ हो गये। यहीं से सुधा मनराल के जीवन में संकट का दौर शुरू हुआ। एक तरफ बीमार पति, दूसरी तरफ नौकरी, साथ में जिम्मेदारी तीन छोटे बच्चों की देखभाल और शिक्षा की। शारीरिक विकलांगता के कारण उनके पति को नौकरी छोड़नी पड़ी और पति के स्वास्थ्य में कोई खास सुधार नहीं होने के कारण 30 अगस्त 1996 को सुधा मनराल ने भी अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद वह अपने पति और बच्चों के साथ दिल्ली छोड़कर अपने निवास स्थान अल्मोड़ा आ गई। इसके बावजूद कठिन संकट का सामना करते हुए उन्होंने बच्चों के पालन-पोषण और शिक्षा का ध्यान रखा और अपने बीमार पति की खूब सेवा की। आज उनके तीन बेटों में सबसे बड़े आशीष मनराल वर्तमान में कनाडा में एक व्यवसायी हैं, मंझले बेटे मनीष संयुक्त अरब अमीरात में एक कंपनी में कार्यरत हैं और सबसे छोटे बेटे दीपक मनराल एक पत्रकार हैं। वर्तमान में सुधा मनराल बारी-बारी से अपने बेटों और पोते-पोतियों के साथ रहती हैं। फिलहाल कनाडा में हैं। वह कहती हैं कि विदेशी धरती पर रहने के बावजूद उनकी आत्मा केवल अल्मोड़ा में ही बसती है। उनका कहना है कि वह अंतिम समय में देवभूमि उत्तराखंड के अल्मोड़ा में ही अपने प्राण त्यागना चाहती हैं।