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कोटद्वार : दिल्ली के लिए इसी माह से चलेगी सीधी एक्सप्रेस ट्रेन, मुरादाबाद रेल मंडल के DRM ने किया निरीक्षण

उत्तर नारी डेस्क 


कोटद्वार से दिल्ली तक का सफर करने वाले यात्रियों के लिए रेलवे की ओर से एक अच्छी खबर सामने आयी है। अब जल्द ही इसी माह से कोटद्वार से दिल्ली के आनंद विहार टर्मिनल के लिए मध्य रात्रि नई रेल सेवा शुरू वाली है।

आपको बता दें, बीते बृहस्पतिवार को मुरादाबाद रेल मंडल के प्रबंधक (डीआरएम) राजकुमार सिंह ने कोटद्वार पहुंचकर रेलवे स्टेशन व ट्रैक का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि कोटद्वार से दिल्ली के आनंद विहार टर्मिनल के लिए स्वीकृत नई एक्सप्रेस ट्रेन को इसी माह से शुरू करा दिया जाएगा। इससे गढ़वाल के रेल यात्रियों को फायदा मिलेगा। बताया कि अमृत भारत योजना के तहत कोटद्वार रेलवे स्टेशन का कायाकल्प होगा। इसके लिए धरातल पर काम शुरू कर दिया गया है।

ये रहेगा शेड्यूल :-

रेलवे के अनुसार यह ट्रेन कोटद्वार से रोजाना रात 10 बजे नजीबाबाद, मौजमपुर नारायण, लक्सर, टपरी, देवबंद, मुजफ्फरनगर, मेरठ होते हुए सुबह 04:35 बजे आनंद विहार टर्मिनल दिल्ली पहुंचेगी। आनंद विहार टर्मिनल से रात 09:45 बजे एक्सप्रेस ट्रेन चलकर प्रात: 03:50 बजे कोटद्वार पहुंचेगी

बताते चलें कि, डीआरएम बनने के बाद पहली बार कोटद्वार के भ्रमण पर पहुंचे राजकुमार सिंह करीब एक बजे विशेष ट्रेन से कोटद्वार पहुंचे। यहां उन्होंने रेलवे स्टेशन, ट्रैक व स्टेशन के भवनों का गहनता से निरीक्षण किया। उन्होंने स्टेशन मास्टर व अधीक्षक से परिचालन व सिग्नल व्यवस्थाओं से संबंधित कई सवाल पूछे। भ्रमण के बाद पत्रकारों से वार्ता में डीआरएम ने कहा कि रेल मंत्रालय की ओर से उन्हें नई ट्रेन संचालन की जानकारी मिल गई है। इसी माह के अंतिम सप्ताह तक इसका संचालन शुरू करा दिया जाएगा। कहा, कोटद्वार रेलवे स्टेशन में पुराने भवनों के स्थान पर नए भवनों का निर्माण प्रस्तावित हैं।


देवभूमि उत्तराखण्ड में रूस के तीन जोड़ो ने हिन्दू परंपरा से किया विवाह


विदेशी कल्चर और नई-नई परंपराओं के साथ होने वाली हाई प्रोफाइल शादियां तो आपने बहुत देखी होंगी, लेकिन आज हम आपको तीन रशियन जोड़ों की हिंदू रीति रिवाज से वाली शादी के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां रूस के रहने वाले तीन जोड़ों को भारतीय परंपरा इतनी भा गई कि उन्होंने हरिद्वार के एक आश्रम में हिंदू विधि विधान से शादी रचा ली।  

देसी बैंड पर बजती देसी धुने और उस पर थिरकती विदेशी युवतियों को देखकर आपको ऐसा लगेगा कि यहां कोई म्यूजिकल प्रोग्राम हो रहा है, लेकिन ये नजारा तीन रूसी जोड़ों की हिंदू रीति रिवाज वाली शादी का है। धर्मनगरी हरिद्वार में अखंड परमधाम आश्रम के आंगन में उस समय नजारा बेहद खास हो गया जब यहां रूस के नागरिकों की शादी वैदिक तौर तरीके से संपन्न हुई। अखंड परमधाम आश्रम के अध्यक्ष और वरिष्ठ संत स्वामी परमानंद गिरि के विदेश में कई अनुयाई है, इन विदेशी अनुयायियों का हरिद्वार स्थित आश्रम में भी आना-जाना लगा रहता है। कुछ दिनों पहले रूस के 50 नागरिकों का दल आध्यात्मिक यात्रा पर हरिद्वार पहुंचा था। इन सभी ने यहां पर योग और ध्यान कर भारतीय संस्कृति को जाना। भारतीय संस्कृति से रूबरू होकर रूसी दल के तीन जोडे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने हिंदू रीति रिवाज से शादी करने की ठान ली। 

वरिष्ठ संत स्वामी परमानंद गिरि के मुताबिक भारत की परिवार व्यवस्था से प्रभावित होकर रूसी नागरिक भारतीय ढंग से शादी कर रहे हैं। हरिद्वार के आश्रम में हुई रूसी नागरिकों की शादी महज औपचारिकता नहीं रही, बल्कि यहां सभी रीति रिवाजों का पालन किया गया। पारंपरिक दूल्हों वाली लाल शेरवानी और पगड़ी पहन कर सजे तीनों दूल्हों की बारात निकाली गई। जिसमें उनके साथियों ने भारतीय धुनों पर जमकर डांस किया। रूसी दूल्हों की बारात में रूसी नागरिकों का उत्साह देखते ही बन रहा था। उसके बाद दूल्हा और दुल्हन ने भगवान के मंदिर में आशीर्वाद लिया और स्टेज पर चढ़कर एक दूसरे को वरमाला पहनाई। इतना ही नहीं रूसी जोड़ों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे भी लिए और जीवन भर एक दूसरे के साथ रहने का वचन दिया। 

अक्सर देखने को मिलता है कि भारतीय युवा पश्चिमी संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे हैं। वहीं विदेशी भारतीय रीति रिवाज को अपना रहे हैं। वहीं इन विदेशी जोड़ों द्वारा हिंदू रीति रिवाज से की गई शादी भारतीय युवाओं के लिए एक मिसाल कही जा सकती है। इस दौरान स्वामी परमानंद गिरी जी ने कहा कि 'हमारी ओर से इतना ही है कि पति-पत्नी रोज न बदलते रहें, भारतीय संस्कृति के अनुसार विवाह करके रहें, इनको उससे प्रेरणा मिली है, पहले भी किया है अब लोग और बढ़ गए हैं, जो भी दिल से चाहा जाता है पूरा होता है, ये लोग बड़ी श्रृद्धा रख रहे हैं और भारतीय ढंग से शादी कर रहे हैं, यहां हर साल ध्यान सीखने आते हैं, आध्यात्म के परवचन सुनने आते हैं और भारतीय परंपराओं को प्रेम करते हुए विश्वास करते हैं। 


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