उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड को देवभूमि कहा जाता है। यहां चारों धाम के साथ ही कई देवी देवताओं के मंदिर है। यहां के मंदिरों की अपनी खास पौराणिक मान्यता है। हर मंदिर अपनी कुछ खास विशेषता लिए हुए है। जिसका पौराणिक इतिहास और परंपरा सबसे हटकर है। लेकिन मंदिरों में पुजारियों के लिए अब तक पुरुषों का ही चयन होता आ रहा है। पहली बार किसी मंदिर में दो महिलाओं को पुजारी की जिम्मेदारी दी गई है। महिला सशक्तिकरण की दिशा में इन महिला पुजारियों की नियुक्ति को एक बड़ा कदम माना जा रहा है। महिला पुजारी की नियुक्ति से सीमांत जिले और श्रीकृष्ण मंदिर का नाम भी इतिहास में दर्ज हो गया है।
बता दें, पिथौरागढ़ जिले के चंडाक स्थित सिकड़ानी गांव के योगेश्वर श्रीकृष्ण मंदिर में पहली बार दो महिला पुजारियों की नियुक्ति हुई है। मुख्य और सहायक महिला पुजारियों का पुष्प वर्षा के साथ जोरदार स्वागत किया गया। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष आचार्य डॉ. पीतांबर अवस्थी ने विधि-विधान से मंजुला अवस्थी को मुख्य पुजारी व सुमन बिष्ट को सहायक पुजारी का दायित्व सौंपा। वहीं, उनका कहना है कि महिलाएं अपने परिवार की देखभाल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह निर्णय दूसरों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। पुरुष अपने परिवार के लिए जो काम करते हैं उसके मामले में वह शायद ही महिलाओं की बराबरी कर सकें। महिलाएं व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं। सनातन परंपराओं को महिलाएं जीवंत बनाए हुए हैं फिर भी उन्हें पुजारी की जिम्मेदारी नहीं दी जाती है। इसीलिए उन्होंने इस मंदिर में महिला पुजारियों की नियुक्ति की है।
महिला पुजारियों की नियुक्ति के बाद से मंदिर में जो भी धार्मिक कार्य हो रहे हैं वह सब महिला पुजारी द्वारा ही संपन्न कराए जा रहे हैं। महिलाओं को धार्मिक कार्य में बराबरी का हक देने के बाद सदियों से चली आ रही रूढ़ियों भी टूट गई है और ग्रामीणों में महिला पुजारी के प्रति सम्मान का भाव भी बढ़ गया है।