उत्तर नारी डेस्क
कोटद्वार : ग्राम्य एकता प्रगति प्रेमांजलि समागम समिति के तत्वावधान में गेप्स के सभागार में समाजसेवी मनमोहन काला की अध्यक्षता में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ समाजसेवी शिक्षाविद् डी. सी. चौधरी, कार्यक्रम अध्यक्ष मनमोहन काला एवं गेप्स की सांस्कृतिक प्रभारी रेखा ध्यानी एवं संगठन मंत्री एन. एस. नेगी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर एवं डॉ. पीताम्बर दत्त बडथ्वाल के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ रेखा ध्यानी के द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से किया गया। इस अवसर पर दिनेश चंद्र ने डॉ पीताम्बर दत्त बडथ्वाल का संक्षिप्त जीवन परिचय प्रस्तुत किया। अध्यक्षता करते हुए मनमोहन काला ने कहा कि गेप्स के संस्थापक निदेशक राम भरोसा कंडवाल द्वारा 2014 में भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखा था जिसमें भारत की एकता और अखंडता के लिए हिंदी को राष्ट्र भाषा का पूर्ण दर्जा देने एवं संपूर्ण देश के प्राथमिक विद्यालयों में प्राथमिकता से लागू करने एवम् स्नातक की शिक्षा विज्ञान एवम् गणित हिंदी में पढ़ाने के अनुरोध के साथ डॉ. बडथ्वाल के साहित्य को इंटर मीडिएट की कक्षाओं में पढ़ाए जाने का अनुरोध किया था। जिसपर सरकार ने अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया संस्था को दी जो सराहनीय है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के हाथों अंगोला में भारतीय शांति दूत के लेखक पूर्व सैनिक राम भरोसा कंडवाल को उनकी उत्कृष्ट रचना अंगोला में शांति दूत के लिए डॉ. पीताम्बर दत्त बडथ्वाल गेप्स हिंदी साहित्य सम्मान वर्ष 2023 से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अध्यक्षता करते हुए समाजसेवी मनमोहन काला ने कहा कि आज जहां पूरा विश्व बारूद की ढेर में खड़ा है। ऐसे समय में कंडवाल द्वारा लिखा यह साहित्य समाज, राष्ट्र एवम राष्ट्रों के लिए एक आदर्श साबित होगा।
इस अवसर पर राम भरोसा कंडवाल ने सभी का हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए कहा कि डॉ. बडथ्वाल जैसे महान साहित्य साधक भारत की धरती में विरले ही पैदा होते हैं डॉ. बडथ्वाल संत कबीर का ही अवतार थे, जिन्होंने 3 वर्ष के कठोर परिश्रम एवं अनवरत साहित्य साधना के फल स्वरूप 1931 ई ० में अपने शोध ग्रंथ "दि निर्गुण स्कूल ऑफ हिंदी पोएट्री" हिंदी काव्य में निर्गुणवाद वनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में प्रस्तुत किया। जिस पर उन्हें 1933 के दीक्षांत समारोह में डॉक्टर्स ऑफ लिटरेचर की उपाधि से सम्मानित किया गया। जो भारत के प्रथम डिलीट बने, लेकिन आज भी उनके साहित्य को वह सम्मान नहीं मिला जो यथोचित था। हिंदी के इस महान साधक की असमय मृत्यु हिंदी साहित्य जगत के लिए एक बहुत बड़ी क्षति थी। इस अवसर पर सांस्कृतिक प्रभारी रेखा ध्यानी ने कहा कि हिन्दी के पुजारी डाक्टर बडथ्वाल के पाली गांव को भारत का सर्व श्रेष्ठ पुस्तकालय बनाकर पर्यटन से जोड़ा जाना चाहिए और उनकी स्मृति में एक खूबसूरत स्मारक का निर्माण किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर काब्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन नंदन सिंह नेगी एवं रेखा ध्यानी ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर मनमोहन काला, अनुराग कंडवाल, दिनेश चौधरी, रेखा ध्यानी, राम भरोसा कंडवाल, आर के ममगाईं, मीनाक्षी बडथ्वाल आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।