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उत्तराखण्ड ब्रेकिंग : धामी सरकार का बड़ा फैसला, स्थाई निवास प्रमाण पत्र की बाध्यता की खत्म

 उत्तर नारी डेस्क 

उत्तराखण्ड में धामी सरकार ने मूल निवास प्रमाण पत्र को लेकर एक बड़ा निर्णय लिया है। राज्य में मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों को स्थाई निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए विभाग अब बाध्य नहीं कर पाएंगे। इसके लिए बाकायदा शासन की तरफ से आदेश भी जारी कर दिया गया है। 

सचिव ने आदेश में कहा कि शासन के संज्ञान में यह तथ्य लाया गया था कि राज्य में सेवायोजन, शैक्षणिक संस्थाओं, प्रदेश में अन्य विभिन्न कार्यों के लिए उत्तराखण्ड के मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों को सम्बन्धित विभागों, संस्थाओं व संस्थानों द्वारा स्थाई निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत किये जाने के लिए बाध्य किया जा रहा है, जबकि इस सम्बन्ध में सामान्य प्रशासन विभाग के शासनादेश संख्या 60/CM/xxxi (13)G/07-87(3)/2007 दिनांक 28 सितम्बर 2007 के द्वारा मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों के लिये स्थायी निवास प्रमाण पत्र की आवश्यकता न होने के सम्बन्ध में स्पष्ट निर्देश पूर्व में ही दिये गये हैं।

बता दें, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के क्रम में सचिव विनोद सुमन की ओर से बुधवार को इस संबंध में आदेश जारी किए हैं कि उक्त आदेशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए। सचिव ने अपने आदेश में दोहराया कि राज्य में सेवायोजन, शैक्षणिक संस्थाओं, प्रदेश में अन्य विभिन्न कार्यों हेतु अब स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनाने की बाध्यता नहीं होगी। उन्होंने कहा कि जिन प्रयोजनों के लिए स्थाई निवास प्रमाण पत्र की आवश्यकता है, उनके लिए मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों को स्थाई निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए जाने हेतु बाध्य न किया जाए। मूल निवास प्रमाण पत्र ही मान्य होगा।


गौरतलब है कि उत्तराखण्ड में मूल निवास का मुद्दा जोर शोर से उठने लगा है। इसको लेकर उत्तराखण्ड के तमाम संगठनों ने 24 दिसंबर को देहरादून में मूल निवास स्वाभिमान रैली बुलाई है। सामाजिक संगठनों की यही चिंता थी कि राज्य में मूल निवासी अपनी पहचान खोते जा रहे हैं और मूल निवास प्रमाण पत्र होने के बावजूद भी उनसे स्थाई निवास मांगे जा रहे हैं। 


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