उत्तर नारी डेस्क
राजाजी टाइगर रिजर्व की चीला रेंज में पहली बार विलुप्तप्राय शेड्यूल-वन का हिरन प्रजाति का प्राणी हॉग डियर (एक्सिस पोर्सिनस) यानी पाड़ा नजर आया है, जिसे रिजर्व प्रशासन जैव विविधता की दृष्टि से अच्छे संकेत मान रहा है। वहीं, इससे पहले उत्तराखण्ड में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पाड़ा की उपस्थिति दर्ज की गई थी।
बता दें, गजराज का गढ़ कहे जाने वाले राजाजी टाइगर रिजर्व में अब तेजी से बाघ समेत अन्य वन्यजीवों की भी संख्या बढ़ रही है। प्रदेश स्तर पर की जा रही बाघों की गणना के लिए एक टीम राजाजी में भी सक्रिय है और उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में कैमरा ट्रैप लगाए हैं। पूर्वी राजाजी के चिल्लावाली रेंज में ग्रासलैंड के पास लगे कैमरे में पाड़ा की तस्वीर कैद की गई। यहां दो से तीन साल पहले ग्रासलैंड विकसित किया गया। जिसके बाद से ही यहां दुलर्भ वन्यजीव विचरण करने लगे हैं। ग्रासलैंड के कारण यहां वन्यजीवों की संख्या में और वृद्धि होने की उम्मीद है।
अखिल भारतीय बाघ गणना फेज-चार के राजाजी के समन्वयक वरिष्ठ पशु चिकित्सक राकेश नौटियाल ने बताया कि पाड़ा अनुकूल परिस्थितियां मिलने पर दूर-दूर तक अकेले विचरण करने निकल जाते हैं। औसत लगभग 0.70 वर्ग किमी क्षेत्र में ही यह हिरण विचरण करते हैं। खुले घास के मैदानों में एकत्रित होकर झुंड बनाते हैं। नर थोड़ा आक्रामक होता है, जबकि मादा शांत स्वभाव की होती है।