उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. यशवंत सिंह कठोच को पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया है। दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में 22 अप्रैल को आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने डॉ. यशवंत सिंह कठोच को पद्मश्री से सम्मानित किया। उन्हें यह सम्मान भारतीय संस्कृति, इतिहास और पुरातत्व के क्षेत्र में अमूल्य योगदान देने के लिए दिया गया है।
बता दें, डॉ. यशवंत सिंह कठोच का जन्म 27 दिसंबर 1935 को मासों, विकास खंड एकेश्वर, चौंदकोट पौड़ी गढ़वाल में हुआ। उन्होंने 1974 में आगरा विश्वविद्यालय से प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति तथा पुरातत्व विषय में विवि में प्रथम स्थान प्राप्त किया। वर्ष 1978 में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के गढ़वाल हिमालय के पुरातत्व पर शोध ग्रंथ प्रस्तुत किया और विवि ने उन्हें डी.फिल. की उपाधि से नवाजा।
डॉ. यशवंत सिंह कठोच ने एक शिक्षक के रूप में 33 साल सेवाएं दीं। वर्ष 1995 में वह प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त हुए। डॉ. कठोच भारतीय संस्कृति, इतिहास एवं पुरातत्व के क्षेत्र में निरंतर शोध कर रहे हैं। वह वर्ष 1973 में स्थापित उत्तराखण्ड शोध संस्थान के संस्थापक सदस्य हैं। उनकी मध्य हिमालय का पुरातत्व, उत्तराखण्ड की सैन्य परंपरा, संस्कृति के पद-चिन्ह, मध्य हिमालय की कला: एक वास्तु शास्त्रीय अध्ययन, सिंह-भारती सहित 12 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। वहीं, मध्य हिमालय के 3 खंड, मध्य हिमालय का पुरातत्व, संस्कृति के पद चिन्ह, उत्तराखण्ड का नवीन इतिहास उनकी प्रमुख कृतियां हैं।
भारत वर्ष का ऐतिहासिक स्थल कोश उनका अखिल भारतीय ग्रंथ है। डॉक्टर कठोच ने जौनसार, महासू मंदिर, कण्वाश्रम, अल्मोड़ा, बागेश्वर, कटारमल्ल, बैजनाथ आदि जगहों का भ्रमण कर उनका पुरातात्विक अध्ययन किया। अपने शैक्षणिक प्रयासों के अलावा, डॉ कठोच ने उत्तराखण्ड में महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थलों और ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण और संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।