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जौनसार के बीरेंद्र चौहान कर रहे सफल बागबानी, बने युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत

उत्तर नारी डेस्क

लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। यह बात फिट बैठती है जौनसार क्षेत्र के एक ऐसे बागवान पर जिन्होनें अपने गांव में सेब की सघन बागवानी कर युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत बने व आज अच्छा खासा मुनाफा भी कमा रहे है। आपको बताते चलें कि उत्तराखण्ड के जनजातीय क्षेत्र जौनसार बाबर के चकराता के निकट  बीरेंद्र चौहान ने सेब के चार अलग-अलग जगह बगीचे तैयार किए और साथ ही उन्नत किस्म के सेब की पौधशाला भी तैयार की है, जिसमें वह रूट स्टॉक पर आधारित  सेब के पौधे तैयार करते हैं। जहां पर लोग दूर दूर से आकर सेब के पौधों को ले जाकर बागवानी तैयार कर रहे है।

जौनसार बावर में बीरेंद्र चौहान अपनी सेब की बागवानी के लिए बहुत ही कम समय में प्रसिद्ध हो गये हैं।  अब लोग उन्हें क्षेत्र में एप्पल मैन के नाम से भी बुलाने लगे हैं। बीरेंद्र चौहान के द्वारा क्षेत्र में लगभग 150 किसानों के सेब के बगीचे  लगवाने में सहयोग किया है और आगे भी प्रयास जारी है। 

आपको बता दें, बीरेंद्र चौहान ने देहरादून जनपद के क्वांसी जोगियों में सेब की सघन बागवानी लगाकर खेती में एक नई मिसाल पेश करते हुए बागवानों को नई राह दिखाई है और युवाओं के मार्गदर्शक भी बने है। लगभग पांच हजार सेब के पेड़ों की सघन बागवानी से शुरुआत कर जैविक खाद से पोषण देने के साथ अच्छे से देखभाल की। इतने कम समय के अंतराल में सेब के पौधे फलों से इस तरह लद गए हैं जिन्हें देखकर मन बहुत प्रसन्न हो जाता है। 

बीरेंद्र चौहान ने बताया कि उबड़ खाबड़ बंजर खेतों में हमारे लिए यह कार्य करना बड़ा जोखिम भरा था, लेकिन यदि हौसले बुलंद हो तो मंजिल एक दिन अवश्य मिल जाती है। इस मिशन को लेकर आगे बढ़े और इतने कम समय में जो परिणाम सामने आया है वह वास्तव में आश्चर्यजनक है। उन्होंने बताया कि पहाड़ों में बहुत तेजी से रोजगार को लेकर लोग पलायन कर रहे हैं और अधिकांश भूमि बंजर पड़ गई है जिसमें बागवानी के क्षेत्र में इस तरह की सघन बागवानी कर पलायन पर भी रोक लग सकती है और साथ में घर पर रहकर अच्छा रोजगार भी प्राप्त कर सकते हैं।

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